International Yoga Day: जीवात्मा और परमात्मा के मिलने का नाम है ‘योग’
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    International Yoga Day: जीवात्मा और परमात्मा के मिलने का नाम है ‘योग’

    योग संस्कृत के शब्द ‘युज’ से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है ‘जोडऩा’। योग हमारे शरीर, मन और आत्मा के बीच संयम स्थापित करता है, जिससे हमारे शरीर के अंदर की शक्तियां जागृत होने लगती हैं और हमारे मन, शरीर और आत्मा का आपस में सम्पर्क होने से शरीर तरोताजा और निरोगी रहता है।
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    श्रीमद् भागवत गीता में श्री कृष्ण जी ने कहा है कि ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ अर्थात ‘कर्मों में कुशलता’ को योग कहते हैं।
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    योग की उत्पत्ति भारत में लगभग 5000 वर्ष से पूर्व की मानी जाती है। प्राचीनकाल से ही वेदों में योग का उल्लेख मिलता है।
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    योग की प्रामाणिक पुस्तकों में शिव संहिता और गौरक्षशतक में योग के 4 प्रकारों का वर्णन मिलता है उनमें मंत्रयोग, हठयोग, लययोग और राजयोग है। योग की उच्चावस्था तक पहुंचने के लिए साधक समाधि और मोक्ष जैसी क्रियाओं का प्रयोग करते हैं।
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    ‘योग’ वह प्राचीन ज्ञान है जिसको पूरी दुनिया ने माना है। भारतीय धरोहर होने की वजह से हमारी जीवन शैली में इसका विशेष महत्व है। अब तो पूरी दुनिया के कई हिस्सों में योग का प्रचार और प्रसार हो चुका है।
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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से 177 देशों ने जब ‘योग’ की शक्ति को माना तो संयुक्त राष्ट्र ने 2015 से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा की।
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    कुछ विद्वानों का मत है कि जीवात्मा और परमात्मा के मिल जाने को योग कहा जाता है।
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    शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मन की भावनाओं को नियत्रंण में रखना।