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Kundli Tv- जानें, सूर्य देव के सालों पुराने इस मंदिर का रहस्य
सूर्य देव का ये मंदिर औरंगाबाद से 18 किलोमिटर दूर स्थित है। ये करीब सौ फुट ऊंचा और लगभग डेढ़ लाख वर्ष पुराना है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने किया था। हर साल छठ पूजा के पर्व पर यहां लोगों की भीड़ जमा होती है।
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इस भवन में सूर्य देव की प्रतिमाएं तीनों रूपों उदयाचल (सुबह), मध्याचल (दोपहर), और अस्ताचल (अस्त) सूर्य के रूप में विराजमान हैं।
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देश के तकरीबन सभी सूर्य मंदिर पूर्व दिशा में है, यही एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है जो पश्चिमाभिमुख है यही इस मंदिर की खासियत है।
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इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता प्रचलित है। इसके अनुसार औरंगाबाद के ऐल नामक राजा को कुष्ठ रोग था। एक दिन वो इलाके के जंगल में शिकार खेलने गया, शिकार खेलते-खेलते उसे प्यास लगी।
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उसने अपने सेनापति को पानी लाने को कहा। सेनापति पानी की तलाश करते हुए एक तालाब के पास पहुंचा और उसने वहां से एक लोटा पानी लेकर राजा को दिया।
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राजा के हाथ में जहां-जहां पानी का स्पर्श हुआ, वहां का कोढ़ ठीक हो गया।
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राजा ने यहां मंदिर बनवाकर उसमें उनकी तीन मूर्तियों की स्थापना कर दी। तब से लोगो में इस मंदिर के प्रति आस्था बढ़ गई। मंदिर के साथ उस तालाब का महत्व भी बढ़ गया।