गांधी जयंती विशेष: राष्ट्रपिता के पहले भाषण से लोग हुए मुरीद, नौकरी छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन में कूदे
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    गांधी जयंती विशेष: राष्ट्रपिता के पहले भाषण से लोग हुए मुरीद, नौकरी छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन में कूदे

    स्वतंत्रता आंदोलन के सूत्रधार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 150वीं जयंती है। गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को ऐसा हथियार बनाया जिसके आगे ब्रिटिश साम्राज्य को भी घुटने टेकने पड़े।
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    राष्ट्रपिता ने उत्तर प्रदेश में पहली बार 8 फरवरी, 1921 को गोरखपुर के बाले मियां मैदान में अपार जनसमूह को सम्बोधित किया था।
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    इस दौरान उन्होंने कहा था कि यदि विदेशी वस्त्रों का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर दिया जाए और लोगों ने चरखे से कातकर तैयार किए गए धागे का कपड़ा पहनना शुरू कर दिया तो अंग्रेजों को यह देश छोड़कर जाने के लिए विवश होना ही पडे़गा।
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    उन्होंने कहा था कि हमारे लिए गुलामी की जंजीर तोड़ना उतना ही जरूरी है जितना सांस लेने के लिए हवा जरूरी है। उन्होंने यहां ब्रिटिश हुकूमत को देश से हटाने के लिए लोगों का आह्वान किया था।
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    उनके इस भाषण से लोग इतने प्रभावित हुए कि वे सरकारी नौकरियाें का त्यागकर आंदोलन में शामिल हो गए थे।
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    उत्तर प्रदेश की जनता ने तन-मन धन से गांधी जी को स्वीकार कर लिया और पूर्वांचल के गोरखपुर, खलीलाबाद, संतकबीरनगर, बस्ती, मगहर और मऊ आदि क्षेत्रों में चरखा चलाने वालों की बाढ़ आ गई।