नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को देर रात से उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला
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    नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को देर रात से उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला

    शारदीय नवरात्री का प्रथम दिन जगत जननी मां जगदम्बा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री माता के रूप में विख्यात है। वाराणसी में नवरात्री के प्रथम दिन माता शैलपुत्री देवी के अलईपुर क्षेत्र स्थित मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रही।
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    नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को देर रात से उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला

    वाराणसी में देवी भगवती के नव स्वरूपों में अलग-अलग मंदिर हैं। जहां नवरात्री के प्रथम दिन से लेकर नवमी तक जगदम्बा के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन की मान्यता है।
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    नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को देर रात से उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला

    नवरात्र का पर्व शुरू होते ही 9 दिनों में देवी पूजा का विशेष महात्व् है। दुर्गा का अर्थ है, परमात्मा की वह शक्ति, जो स्थिर और गतिमान है, लेकिन संतुलित भी है। किसी भी प्रकार की साधना के लिए शक्ति का होना जरूरी है और शक्ति की साधना का पथ अत्यंत गूढ और रहस्यपूर्ण है।
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    नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को देर रात से उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला

    नवरात्र में व्रत इसलिए करते हैं, ताकि अपने भीतर की शक्ति, संयम और नियम से सुरक्षित हो सकें, उसका अनावश्यक अपव्यय न हो। संपूर्ण सृष्टि में जो ऊर्जा का प्रवाह है, उसे अपने भीतर रखने के लिए स्वयं की पात्रता तथा इस पात्र की स्वच्छता भी जरूरी है।
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    नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को देर रात से उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला

    नवरात्री के नौ दिनों में देवी के अलग अलग रूपों की पूजा विधिवत की जाती है। जिसमें सबसे पहले दिन माता शैल पुत्री के दर्शन का विधान है। शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया है।