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रूस के इस ‘रिवर रॉकेट’ ने दुनिया में मनवाया था ताकत का लोहा
शीत युद्ध के इस दौर में अमरीका-रूस के बीच आधुनिक हथियारों की होड़ मची हुई थी। इसी दौरान रूस ने ‘रिवर रॉकेट’का निर्माण करवाया, जिसकी रफ्तार उस समय सबसे ज्यादा थी।
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रूस के इस ‘रिवर रॉकेट’ ने दुनिया में मनवाया था ताकत का लोहा
इस रॉकेट का नाम रखा गया ‘रिवर’ जिसकी डिजाइन सोरमोव्सकी जिले के निजनी नोवगोराद स्थित क्रासनोए सोरमोव फैक्ट्री में तैयार की गई।
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रूस के इस ‘रिवर रॉकेट’ ने दुनिया में मनवाया था ताकत का लोहा
इसका निर्माण सोवियत यूनियन की नेवी और रेड आर्मी की देखरेख में हुआ। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी रफ्तार थी।
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रूस के इस ‘रिवर रॉकेट’ ने दुनिया में मनवाया था ताकत का लोहा
हाइड्रोफॉइल टेक्नोलॉजी से लैस इस यॉट की स्पीड 150 किमी प्रतिघंटा थी, जो उस समय की सबसे ज्यादा स्पीड थी।
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रूस के इस ‘रिवर रॉकेट’ ने दुनिया में मनवाया था ताकत का लोहा
25 अगस्त, 1958 में वोल्गा नदी में इसकी टैस्टिंग की गई तो उस सयम इस वेसल ने 7 घंटों में ही 420 किमी की दूरी तय कर ली थी। इसके बाद से ही इसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा।
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रूस के इस ‘रिवर रॉकेट’ ने दुनिया में मनवाया था ताकत का लोहा
सफल टैस्टिंग के बाद सोवियत यूनियन ने इसे ‘रिवर रॉकेट’ का नाम दिया। पानी पर दौड़ने वाले सभी वेसल में यह सबसे रोचक थी। पहले वेसल में 4 क्रू मेंबर्स के अलावा 30 जवानों के बैठने की जगह थी।
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सोवियत यूनियन का टार्गेट ऐसी ही करीब 1000 वेसल बनाने का था। हालांकि 1992 में सोवियत यूनियन के विघटन के बाद से इनका निर्माण रुक गया और अब इनकी जगह दूसरे वेसल ने ली है।