दशानन ने इस शिवलिंग की पूजा कर प्राप्त की थी सोने की लंका, प्रधानमंत्री से लेकर फूलन देवी तक आ चुके हैं इस मंदिर
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    दशानन ने इस शिवलिंग की पूजा कर प्राप्त की थी सोने की लंका, प्रधानमंत्री से लेकर फूलन देवी तक आ चुके हैं इस मंदिर

    दिल्ली से मात्र 30 कि.मी. दूर गौतमबुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा में एक गांव है बिसरख, जो सतयुग में वीरपुर के नाम से जाना जाता था।
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    इस वीरपुर के पास कभी गंगा और यमुना की संगम स्थली हुआ करती थी क्योंकि उस वक्त हरनंदी नदी गंगा नदी की धारा से निकल कर उपनदी के रूप में बहती थी, जो वक्त के साथ-साथ अब गंगा नदी की बजाए यमुना नदी की उपनदी के रूप में बह रही है
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    इस बिसरख गांव व रावण की जन्म स्थली की चर्चा 90 के दशक में शुरू हुई, जब तांत्रिक चंद्रास्वामी ने पुरातत्व विभाग की एक टीम के साथ इस बिसरख गांव व शिव मंदिर को लेकर खुदाई कराई थी।
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    उस समय पुरातत्व विभाग की टीम को 24 मुखी शंख मिला था और महाभारत कालीन कुछ अवशेष भी मिले थे। इसके बाद इस शिवलिंग को लेकर आस्था व मान्यता का अटूट संबंध हो गया।
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    क्षेत्र ही नहीं देश व विदेश से भी लोग दशहरा व अन्य उत्सवों पर इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं। शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं।
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    शहरी अध्ययन विद्वान वंदना वासुदेवन ने अपनी पुस्तक ‘अर्बन विलेजर लाइफ इन एन इंडियन सैटेलाइट टाऊन’ (2013) में दावा किया है
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    कि अष्टकोणीय शिवलिंग को पास के एक जंगल से निकाला गया था और मंदिर में रखा गया था। गांव में अन्य देवताओं को समर्पित कई मंदिर हैं, जिनमें से कई सौ साल से अधिक पुराने हैं।