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यहां पाए जाते हैं ये अद्भुत बिल्व पत्र, 3 नहीं होती हैं 5 और 9 पत्तियां!
पुराणों और धार्मिक कथाओं के अनुसार बिल्ब पत्र जिसे साधारण भाषा में बेल पत्र कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इसकी उत्पत्ति मां भगवती के पसीने की बूंद से मैकल पर्वत पर हुई थी। तो वहीं भोलेनाथ को अधिक प्रिय है, यही कारण है भगवान शंकर से जुड़ा कोई भी अनुष्ठान इसके प्रयोग के बिना संपन्न नहीं किया जाता।
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यहां पाए जाते हैं ये अद्भुत बिल्व पत्र, 3 नहीं होती हैं 5 और 9 पत्तियां!
खास तौर अगर श्रावण की बात हो तो कहा जाता है कि अगर भोलेनाथ का भक्त इनकी पूजा में इसका इस्तेमाल करना भूल जाता है तो उसे पूजा संपूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाती।
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कहने का मतलब है कि सावन व प्रत्येक सोमवार को होने वाली भगवान शंकर की पूजा तथा इनके अनुष्ठान में इसका अधिक महत्व होता है।
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यहां पाए जाते हैं ये अद्भुत बिल्व पत्र, 3 नहीं होती हैं 5 और 9 पत्तियां!
आप में से लगभग लोगों ने देखा होगा कि बेल पत्र सामान्य तौर पर तीन पत्तियों वाले होते हैं, लेकिन मंडला जिले की हिरदेनगर की शिव वाटिका में जो बेल पत्र पाए जाते हैं, इन बेल पत्र में 5 से लेकर और 9 पत्तियां तक होती हैं।
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यहां पाए जाते हैं ये अद्भुत बिल्व पत्र, 3 नहीं होती हैं 5 और 9 पत्तियां!
यहां की मान्यताओं के अनुसार जिस व्यक्ति को यहां 3 तीन से ज्यादा दलों वाली बेल पत्र मिल जाए, तो उसे भगवान शंकर को चढ़ाने के बाद घर के मुख्य दरवाज़े में फ्रेम करा कर रखने से
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यहां पाए जाते हैं ये अद्भुत बिल्व पत्र, 3 नहीं होती हैं 5 और 9 पत्तियां!
पूजा स्थल पर रख कर प्रतिदिन उसकी पूजा करने से, रामायण या धार्मिक किताबों में दबा कर रखने से, तिज़ोरी व आलमारी, या व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में रखने से अलग-अलग तरह के फल प्राप्त होते हैं।
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बता दें पंजाब केसरी के रिपोर्टर अरविंद सोन की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे पेड़ भारत मे लाखों में एक पाए जाते हैं। ये पेड़ ज्यादातर नेपाल में मिलते हैं।