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हयग्रीव जयंती: आप भी करें इस प्राचीन मंदिर के दर्शन, जहां विराजमान भगवान हयग्रीव
आज यानि 22 अगस्त रविवार को हयग्रीव जयंती का पर्व भी है। इसी खास पर्व के मद्देनजर हम आपको बताने जा रहे हैं मध्य प्रदेश के गुवाहटीमें स्थित भगवान हयग्रीव मंदिर के बारे में।
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हयग्रीव जयंती: आप भी करें इस प्राचीन मंदिर के दर्शन, जहां विराजमान भगवान हयग्रीव
बताया जाता है गुवाहटी से 30 कि.मी की दूरी पर मोनिकूट नाम की एक छोटी-सी पहाड़ी पर हाजो, असम में हयग्रीव माधव मंदिर स्थित है। बताया जाता है यह प्राचीन मंदिर अपने आप में हज़ारों वर्षों प्राचीनता समेटे हुए हैं।
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हयग्रीव जयंती: आप भी करें इस प्राचीन मंदिर के दर्शन, जहां विराजमान भगवान हयग्रीव
बता दें यहा एक ऊंची चट्टानी पहाड़ी पर भगवान हयग्रीव माधव स्थापित है, जिनके दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को एक लंबी-ऊंची सीढ़ी चढ़कर जाना पड़ता है।
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हयग्रीव जयंती: आप भी करें इस प्राचीन मंदिर के दर्शन, जहां विराजमान भगवान हयग्रीव
कालखंड के अनुसार इस मंदिर के निर्माण की सटीक तिथि के बारे मे अधिक जानकारी प्राप्त नहीं है। परंतु माना जाता है संभवतः 1583 में राजा रघुदेव नारायण ने इसका निर्माण कराया था।
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हयग्रीव जयंती: आप भी करें इस प्राचीन मंदिर के दर्शन, जहां विराजमान भगवान हयग्रीव
तो वहीं कुछ ऐतिहासिक तथ्य की मानें तो राजा ने मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार कराया था और पुनः पूजन आरंभ कराया था। मंदिर में इससे प्राप्त होने वाले साक्ष्यों के अनुसार उस दौर में आए मुस्लिम आक्रांताओं ने इस मंदिर को क्षति पहुंचाई थी, जिसके निशान यहां मिलते हैं।
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हयग्रीव जयंती: आप भी करें इस प्राचीन मंदिर के दर्शन, जहां विराजमान भगवान हयग्रीव
इतिहासकारों का कहना है कि वास्तव में इसे कामरूप के पाल राजवंश ने 10वीं शताब्दी में बनवाया था। बताया जाता है कि ऐतिहासिक कामरूप में 11वीं शताब्दी में रचित कलिका पुराण में हयग्रीव अवतार की उत्पत्ति व उनकी इस पहाड़ पर स्थापना का वर्णन है।
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हयग्रीव जयंती: आप भी करें इस प्राचीन मंदिर के दर्शन, जहां विराजमान भगवान हयग्रीव
मंदिर परिसर में स्थापित ' भगवान हयग्रीव' की स्थापित पावन मूर्ति पुरी के भगवान जगन्नाथ जैसी दिखती है। असम के लोगों में इस मंदिर में अत्यधिक मान्यता है।
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हयग्रीव जयंती: आप भी करें इस प्राचीन मंदिर के दर्शन, जहां विराजमान भगवान हयग्रीव
मंदिर परिसर में स्थापित ' भगवान हयग्रीव' की स्थापित पावन मूर्ति पुरी के भगवान जगन्नाथ जैसी दिखती है। असम के लोगों में इस मंदिर में अत्यधिक मान्यता है और दूर-दूर से भक्त यहां हयग्रीव भगवान के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा कृष्णवर्णीय पत्थर की बनी हुई है।
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हयग्रीव जयंती: आप भी करें इस प्राचीन मंदिर के दर्शन, जहां विराजमान भगवान हयग्रीव
ऐसा मान्यताएं हैं कि हयग्रीव नामक असुर इसी स्थान पर तामसी तंत्र क्रिया कर रहा था, इसलिए कालांतर में यहां हयग्रीव माधव मंदिर स्थापित हुआ।