10वीं शताब्दी की योगिनी मूर्ति लाई जा रही है भारत: रेड्डी
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    10वीं शताब्दी की योगिनी मूर्ति लाई जा रही है भारत: रेड्डी

    केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने घोषणा की है कि उत्तर प्रदेश के बांदा के लोखरी में एक मंदिर से अवैध रूप से हटाई गई 10वीं शताब्दी की पत्थर की बकरी के सिर वाली योगिनी की मूर्ति भारत को वापस की जा रही है।
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    10वीं शताब्दी की योगिनी मूर्ति लाई जा रही है भारत: रेड्डी

    उन्होंने इस पर ट्वीट करते हुए लिखा कि हमारी असली कलाकृतियों का स्वदेश में आगमन जारी है।
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    10वीं शताब्दी की योगिनी मूर्ति लाई जा रही है भारत: रेड्डी

    बता दें कि लंदन में भारतीय उच्चायोग भी इसकी धोषणा कर चुका है। इसे 1980 के दशक के आस-पास यूपी के बांदा के लोखरी में एक मंदिर से अवैध रूप से हटा दिया गया था।
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    10वीं शताब्दी की योगिनी मूर्ति लाई जा रही है भारत: रेड्डी

    यह मूर्ति एक बकरी के सिर वाली योगिनी की है जो मूलरूप से बलुआ पत्थर में पत्थर के देवताओं के एक समूह से संबंधित है और वह लोखरी मंदिर में स्थापित था।
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    1986 में दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय की ओर से भारतीय विद्वान विद्या दहेजिया के अध्ययन का यह विषय था, जिसे बाद में योगिनी पंथ और मंदिर: एक तांत्रिक परंपरा शीर्षक के तहत प्रकाशित किया गया था।
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    यह पता चला है कि 1988 में लंदन के कला बाजार में कुछ समय के लिए उक्त मूर्तिकला सामने आई थी। भारतीय उच्चायोग को बकरी के सिर वाली योगिनी मूर्तिकला की खोज के बारे में जानकारी मिली जो लंदन के पास एक निजी निवास के बगीचे में पाई गई।
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    सिंगापुर की इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट और लंदन की आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल संस्था ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग को मूर्ति की पहचान और उसकी बरामदगी में तत्परतापूर्वक सहायता की।
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    जबकि भारतीय उच्चायोग ने स्थानीय और भारतीय अधिकारियों के साथ अपेक्षित दस्तावेज तैयार किए। मकर संक्रांति के शुभ दिन लंदन में स्थित उच्चायोग पहुंची बकरी के सिर वाली योगिनी मूर्ति को नई दिल्ली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) मुख्यालय भेज दिया गया है।