शीतला माता के इस मंदिर में चीनी यात्री ने भी की थी पूजा
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    शीतला माता के इस मंदिर में चीनी यात्री ने भी की थी पूजा

    बिहार में नालंदा जिले के मघड़ा गांव स्थित शीतला माता मंदिर में पूजा करने से श्रद्धालुओं को निरोगी काया की प्राप्ति होती है। नालंदा जिले में बिहार शरीफ से कुछ किलोमीटर की दूरी पर परवलपुर-एकंगर सराय मार्ग पर स्थित है एक छोटा सा गांव मघड़ा।
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    इस गांव की पहचान सिद्धपीठ के रूप में की जाती है। माता अपने भक्तों को निरोगी काया देती हैं। खासकर चेचक से पीड़ित लोग माता शीतला के दरबार में आकर कंचन काया पाते हैं।
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    यहां सभी धर्मों के लोग चेचक के निवारण के लिए माथा टेकते हैं। मां की कृपा से नि:संतान को संतान और निर्धनों को धन की प्राप्ति होती है। माता शीतला मंदिर के पास ही एक बड़ा सा तालाब है।
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    माता के दर्शन को आने वाले श्रद्धालु तालाब में स्नान करने के बाद ही पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता के मुताबिक तालाब में स्नान करने से चेचक रोग से मुक्ति मिल जाती है। शरीर में जलन की शिकायत है तो उससे भी राहत मिलती है।
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    स्थानीय लोगों के अनुसार इस कुएं का पानी आज तक नहीं सुखा है। श्रद्धालु इस कुएं की पूजा जरूर करते हैं। बताया जाता है कि मघड़ा गांव स्थित माता शीतला मंदिर में दिन में दीपक नहीं जलते हैं। धूप, हुमाद और अगरबत्ती जलाना भी मना है।
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    भगवान सूर्य के अस्त होने के बाद ही मंदिर में माता की आरती उतारी जाती है और हवन होता है। कहा जाता है कि माता शीतला के शरीर में बहुत जलन (लहर) रहती है इसलिए मंदिर में दीपक, धूप या हवन करना वर्जित माना गया है।
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    माता को जलन से राहत मिले, इसके लिए हर दिन सुबह में उन्हें दही और चीनी से उन्हें स्नान कराया जाता है। सूर्यास्त के बाद सबसे पहले मंदिर के पुजारी दीपक जलाकर आरती करते हैं।
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    उसके बाद श्रद्धालु भी दीपक दीप-धूप जलाते हैं। माता शीतला की पूजा-अर्चना मुख्य रूप से दही और बताशा का भोग लगाकर की जाती है।