अजब-गजब: लोहार्गल जहां पानी में गल जाती हैं अस्थियां
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    अजब-गजब: लोहार्गल जहां पानी में गल जाती हैं अस्थियां

    लोहार्गल राजस्थान का पवित्र तीर्थ स्थल है। यहां लोग दूर-दूर से अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं। पानी में विसर्जन के कुछ घंटों बाद अस्थियां पिघलकर पानी में विलीन हो जाती हैं।
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    कहते हैं कि ब्रह्महृद देवताओं को अत्यंत प्रिय तीर्थ था। कलियुग के पापी लोग इस तीर्थ को दूषित न कर दें, इस आशंका से देवताओं ने ब्रह्मा जी से इस तीर्थ की रक्षा करने की प्रार्थना की।
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    ब्रह्मा जी के आदेश पर हिमालय ने अपने पुत्र केतु पर्वत को वहां भेजा। केतु ने अपनी आराधना से तीर्थ के अधिदेवता को प्रसन्न किया और उनकी आज्ञा से तीर्थ को आच्छादित कर दिया।
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    इस प्रकार ब्रह्महृद तीर्थ पर्वत के नीचे लुप्त हो गया लेकिन उसकी सात धाराएं आज भी पर्वत के नीचे से प्रवाहित हो रही हैं।
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    लोहार्गल के प्रधान देवता सूर्य हैं। शिव मंदिर तथा सूर्य मंदिर के बीच एक कुंड है जिसे सूर्य कुंड कहते हैं। यहां कुंड के पास महाराज युधिष्ठिर द्वारा स्थापित शिव मंदिर है।
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    लोहार्गल से एक मील दूर पर्वत पर केतु मंदिर है। यहां रामानंद सम्प्रदाय के साधुओं का ‘खाकी जी’ का मंदिर है।
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    लोहार्गल से दो मील दूर चेतनदास की बावड़ी है। यहां 52 भैरव स्थापित हैं। यहां के ज्ञानवापी तीर्थ में भीम ने भीमेश्वर शिव की स्थापना की थी।