उत्तर भारत का अकेला मन्दिर, एक ही चट्टान से बना चौदह मंदिरों का समूह !
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    उत्तर भारत का अकेला मन्दिर, एक ही चट्टान से बना चौदह मंदिरों का समूह !

    कांगड़ा घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता, वानस्पतिक विविधता, पुरातनता, ऐतिहासिक धरोहरों आदि से सबको आकर्षित करती रही है।
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    उत्तर भारत का अकेला मन्दिर, एक ही चट्टान से बना चौदह मंदिरों का समूह !

    त्रिगर्त, नगरकोट आदि के नाम से विख्यात कांगड़ा नगर की स्थापना राजा भूमिचन्द्र ने की थी, जिनकी 236वीं पीढ़ी के राजा सुशर्म चन्द्र ने महाभारत युद्ध में कौरवों का साथ दिया था।
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    यह ऐतिहासिक नगर विकास और विध्वंस के अनेक दृश्यों का साक्षी रहा है। यहां के राजा हरिचन्द जब एक बार सूखे कुएं में गिर गए और कई दिनों तक राज्य में वापस नहीं पहुंचे तो उनके छोटे भाई को राजा बना दिया गया।
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    बाद में किसी ने राजा को निकाला परन्तु जब राजा को सारे घटनाक्रम का पता चला तो उन्होंने नया नगर बसाया, जिसे हरिपुर के नाम से जाना जाने लगा।
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    हरिपुर की रानी तारा की कथा देवी मां के जागरण में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यहां आज भी पुराना किला और बहुत से ऐतिहासिक मन्दिर, तालाब आदि मौजूद हैं।
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    यहां से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध मसरूर मन्दिर है, जो वास्तव में एक ही चट्टान को काटकर बनाए गए चौदह मंदिरों का समूह है और उत्तर भारत में अपनी तरह का अकेला ऐसा मन्दिर है।
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    उत्तर भारत का अकेला मन्दिर, एक ही चट्टान से बना चौदह मंदिरों का समूह !

    हरिपुर की यह संरचना भी उसी प्रकार चट्टान को अन्दर से तराशकर बनाई गई है। सड़क के नजदीक होने के कारण इस चट्टान तक पहुंचना बहुत सरल है।
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    यदि इस संरचना पर शोध किया जाए तो अवश्य ही इतिहास का कोई नया पक्ष सामने आएगा। इसके साथ ही कांगड़ा का यह दूसरा मसरूर पर्यटन के मानचित्र पर भी अंकित किया जा सकेगा।
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