Safdarjung Tomb: बेहद अनूठा है सफदरजंग का मकबरा, शाम के समय बढ़ जाती इसकी भव्यता
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    Safdarjung Tomb: बेहद अनूठा है सफदरजंग का मकबरा, शाम के समय बढ़ जाती इसकी भव्यता

    अगर हाल में आपने 18वीं सदी में बने सफदरजंग मकबरे को देखा है तो वह आपको एक अलग रंग में नजर आया होगा, जो उसके मूल रूप से उसकी पहचान से बदला हुआ दिखा रहा था।
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    Safdarjung Tomb: बेहद अनूठा है सफदरजंग का मकबरा, शाम के समय बढ़ जाती इसकी भव्यता

    दरअसल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) ने सफदरजंग के मकबरे के मेन गेट के रंग को गलती से इसके मूल हल्के पीले रंग की जगह गहरे पीले रंग में रंग दिया था।
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    विवाद बढ़ने के बाद से इसे बदला जा रहा है। इससे सफदरजंग के मकबरे की ओरिजनलिटी प्रभावित हो रही थी।
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    ए.एस.आई. ने कहा कि मुख्य द्वार पर जो कार्य किया गया था, उसे हटाने का फैसला लिया गया है। मकबरे में आजादी के बाद सबसे बड़े स्तर पर संरक्षण कार्य किया जा रहा है।
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    स्मारक में रोशनी की व्यवस्था की गई और इसे लाल किला और कुतुब मीनार की तर्ज पर शाम के समय 2 घंटे के लिए जनता के लिए खोला गया है। चार साल से यहां चल रहे संरक्षण कार्य से मुख्य रूप से स्मारक के मुख्य गुंबद के संगमरमर के पत्थर बदले गए हैं
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    इसके लिए कुछ स्थानों पर बारीक काम वाली जालियां बदली गई हैं। स्मारक के लगभग हर भाग में संरक्षण का काम हुआ है।
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    इस मकबरे के नाम को लेकर यह भ्रम हो जाता है कि सफरदजंग कोई बादशाह रहा होगा, क्योंकि देश भर में अधिकतर मकबरे बादशाहों से संबंधित ही हैं। दरअसल, वह बादशाह नहीं, मुगल बादशाह मुहम्मद शाह का प्रधानमंत्री था।