Shiv Bari Temple: यहां भगवान शिव बाल रूप में आते थे खेलने
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    Shiv Bari Temple: यहां भगवान शिव बाल रूप में आते थे खेलने

    चिंतपूर्णी चालीसा में लिखा है की माता चिंतपूर्णी चार शिवलिंग में घिरी हुई हैं जिसकी बहुत कम लोगों को जानकारी है। इनमें से एक मंदिर शिवबाड़ी है।
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    Shiv Bari Temple: यहां भगवान शिव बाल रूप में आते थे खेलने

    ऊना जिला के अम्ब उपमंडल के गगरेट से कुछ दूरी पर अम्बोटा नामक स्थान पर हरी-भरी जंगलनुमा विशाल बाड़ी के बीचों-बीच, पावन प्राचीन सोमभद्रा नदी के किनारे भोले बाबा का प्राचीन मंदिर स्थित है।
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    जिसमें भगवान शिव पावन पिंडी के रूप में विराजमान हैं। यहां लोग पावन शिवलिंग की ॐ नम शिवाय:’ मंत्र जाप के साथ पूजा-अर्चना के साथ जलाभिषेक करके अपने जीवन में खुशहाली की कामना करते हैं।
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    इस प्राचीन देवस्थली के इतिहास के बारे में जनश्रुतियों के अनुसार यह क्षेत्र पांडवकाल में गुरु द्रोणाचार्य द्वारा अपने शिष्यों को धनुर्विद्या सिखाने का प्रशिक्षण स्थल हुआ करता था।
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    गुरु द्रोणाचार्य हर रोज स्वां नदी में स्नान करने के लिए जाते और उसके उपरांत भगवान के दर्शनार्थ हिमालय पर्वत को जाया करते थे।
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    उनकी पुत्री जिसका नाम ‘यज्याती’ था को वह प्रेम से ‘याता’ के नाम से पुकारते थे। वह अपने पिता से रोज पूछा करती थी कि आप स्नान के बाद रोज कहां जाते हैं? वह उनके साथ जाने की जिद्द किया करती।
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    याता के बाल हठ को समझते हुए द्रोणाचार्य ने उसे बताया कि वह रोज भगवान शंकर के दर्शनार्थ जाते हैं और किसी दिन उसे अपने साथ ले जाने का वायदा किया। तब तक याता को ॐ नम शिवाय’ मंत्र का जाप करने को कहा। यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा।
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    यज्याती की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव बाल रूप में शिवबाड़ी क्षेत्र में आकर द्रोण पुत्री के साथ खेलने लगे। भगवान शिव ने उसे हर वर्ष शिवबाड़ी मेले के दिन इस क्षेत्र में विद्यमान रहने की बात कही।