Sri Shankaracharya Mandir: भगवान शिव को समर्पित शंकराचार्य मंदिर, जहां मुगलों ने बनवाया था स्तंभ
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    Sri Shankaracharya Mandir: भगवान शिव को समर्पित शंकराचार्य मंदिर, जहां मुगलों ने बनवाया था स्तंभ

    शंकराचार्य मन्दिर श्रीनगर से 4 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर दर्शनीय स्थान है। यह मन्दिर श्रीनगर के प्रत्येक भाग से देखा जा सकता है।
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    हालांकि, पहाड़ी की चोटी पर शोभनीय मन्दिर का दूर से केवल ऊपरी भाग ही नजर आता है। दूसरी ओर पहाड़ी की चोटी से सारा श्रीनगर नजर आता है। दूर-दूर पहाड़ियों के बीच तथा डल झील की भव्यता और विशालता को आशीर्वाद देता हुआ यह मंदिर आध्यात्मिकता का पर्याय हो जाता है।
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    डल झील में शिकारे में बैठकर भी इस मन्दिर का अदभुत नजारा देखा जा सकता है। मन्दिर में शंकराचार्य की मूर्ति शोभनीय है, साथ ही उनका एक ग्रंथ भी पड़ा हुआ है।
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    मन्दिर में तथा अलग एक छोटे से तप कमरे में उनकी मूर्तियां भी स्थापित हैं।
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    मंदिर तक जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक दुर्गानाग से जाता है और इसमें साढ़े 3 किलोमीटर की चढ़ाई है। इस रास्ते से जाकर आपको एक विशेष आनन्द मिलेगा और सैर भी हो जाएगी तथा रास्ते में आप डल झील, चार मीनार, मुगल बागों का दृश्य भी देख सकते हैं।
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    गोपादरी या गुपकार टीले को शंकराचार्य या तख्ते-सुलेमान भी कहते हैं। समुद्रतल से 6240 फुट ऊंची यह पहाड़ी श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में स्थित है। इसके साथ ही जबरवान पहाड़ियां, नीचे डल झील, उत्तर में जेठनाग और दक्षिण में झेलम नदी है।