हौसले को सलामः हाथों की जगह पैरों से लिख रहा अपना नसीब
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    हौसले को सलामः हाथों की जगह पैरों से लिख रहा अपना नसीब

    यदि इंसान कुछ कर गुजरने की मन मे ठान ले तो अपंगता उसके काम मे बाधा नहीं बन सकती है। घर पर बच्चों को इसलिए पढ़ाना शुरू किया ताकि इस कालोनी की गलियों में कंच्चे खेलने वाले पढ़ाई कर सके।
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    हौसले को सलामः हाथों की जगह पैरों से लिख रहा अपना नसीब

    हैदर की काबलियत के सभी कायल हैं। वही पिता इस्लाम को अपने बेटे हैदर पर नाज है।
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    हौसले को सलामः हाथों की जगह पैरों से लिख रहा अपना नसीब

    हैदर की बड़ी बहन गजाला अधिवक्ता है वह अपने भाई को इसलिए आगे बढ़ा रही ताकि कोई यह न कहे सके कि विकलांग सिर्फ भीख मांग सकता है और कुछ नहीं कर सकता इन्ही बातों को लेकर उसको अपने पैरों पर खड़ा होने का हुनर दिलाया जा रहा है।
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    हौसले को सलामः हाथों की जगह पैरों से लिख रहा अपना नसीब

    हैदर ने अपने माता पिता व बड़ी बहन की हौसला अफजाई के बाद हाथ खराब होने की वजह से पैरों से लिखना पढ़ना शुरू किया। उसके बाद लगातार मेहनत करने के बाद ग्रेजुएशन कम्प्लीट करने के बाद अपने मोहल्ले के लगभग 150 बच्चों को पढ़ा रहा है। उसके साथ खुद जज बनने के लिए एलएलबी की पढ़ाई कर रहें हैं।
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    हौसले को सलामः हाथों की जगह पैरों से लिख रहा अपना नसीब

    हैदर हाथों से बिकलांग जरूर है, लेकिन वह अपने पैरों से ही अपने सभी दैनिक कार्यो को करते हैं। जैसे लिखना, लैपटॉप चलाना, चाय पीने से लेकर भोजन तक पैरों से करते है।
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    हौसले को सलामः हाथों की जगह पैरों से लिख रहा अपना नसीब

    चाय पीने से लेकर भोजन तक पैरों से करते हैं हैदर