Ancient and famous Vat trees: ये हैं भारत के प्राचीन व प्रसिद्ध ‘वट वृक्ष’
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    Ancient and famous Vat trees: ये हैं भारत के प्राचीन व प्रसिद्ध ‘वट वृक्ष’

    कोलकाता के बोटैनिकल गार्डन में स्थित वट वृक्ष तो विश्व का सबसे विशाल वट वृक्ष है। वहीं ओडि़शा में स्थित एक 500 वर्ष प्राचीन वट वृक्ष भी काफी लोकप्रिय है।
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    झारखंड राज्य में कहलगांव अनुमंडल में गंगा नदी के किनारे वटेश्वर पर्वत (पत्थरधट्टा पहाड़ी) पर वटेश्वर तीर्थ (वट पर्वनिका) है। वेदों, पुराणों, पाणिनीय आदि ग्रंथों में वट, वर्षा और वद्र्धन शिव शब्द के पर्याय के रूप में उल्लेखित हैं।
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    काशी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर द्वार से निकल कर श्री दुंडिराज गणेश स्थान की ओर चलने पर सर्वप्रथम बाएं मार्ग में श्री शनैश्चर मंदिर के पास महावीर जी के कोने में प्राचीन वट को अक्षयवट कहा जाता है।
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    पंचवटी का शाब्दिक अर्थ होता है ‘जहां पीपल, बेल, वट, हड़ और अशोक, ये पांच वृक्ष लगे हों।’ दंडकारण्य (छत्तीसगढ़) क्षेत्र में भी एक पंचवटी नामक तीर्थ है, जो जगदलपुर से 62 कि.मी. की दूरी पर है।
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    पुरुषोत्तम तीर्थ अर्थात जगन्नाथपुरी में प्राचीन काल में नीलांचल पर्वत पर ही सबकी इच्छा पूर्ण करने वाला कल्पतरु था। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, माता सीता व भ्राता लक्ष्मण ने अपने वनवास काल में कुछ समय यहीं गुजारा था, इस कारण इसे कहीं-कहीं वनस्थली भी कहा गया है।
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    वृंदावन में यमुना किनारे के दर्जन भर घाटों के मध्य वंशीवट घाट है, जहां पर जाकर उस महान तरु का दर्शन किया जा सकता है, जिसके मूल में श्री माधव का शास्त्रोमुक्त स्थान है।
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    गया के अक्षयवट का उद्धार युगपिता ब्रह्मा ने किया तो ‘अक्षय’ होने का वरदान माता सीता से मिला। गया के अक्षयवट को जगतख्यात बनाने में श्री कृष्ण व पांडव बंधुओं का अमूल्य योगदान है।