तंत्र साधना का आदर्श स्थान है नलखेड़ा में स्थित हैं पांडव कालीन बगलामुखी मंदिर
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    तंत्र साधना का आदर्श स्थान है नलखेड़ा में स्थित हैं पांडव कालीन बगलामुखी मंदिर

    आगर जिले से 35 किलो मीटर दूर नलखेड़ा में विश्व प्रसिद्ध पीतांबरा सिद्ध पीठ मां बगलामुखी का मंदिर शक्ति एवं शक्तिमान के सम्मिलित प्रभाव से यहां पर की जाने वाली साधना आराधना अनंत गुना फलप्रदा होती है।
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    तंत्र साधना का आदर्श स्थान है नलखेड़ा में स्थित हैं पांडव कालीन बगलामुखी मंदिर

    कहते हैं जब कभी किसी को शत्रु का भय होता है तो बगलामुखी की साधना आराधना आराधक के लिए फलदायी साबित होती है। वहीं मां की आराधना से शत्रु का स्तम्भन भी होता है।
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    बताया जाता है बगलामुखी मंदिर में स्थापित मां की प्रतिमा महाभारत कालीन है जो भीम पुत्र बरबरी द्वारा स्थापित की गई थी। कताओं के अनुसार यहां पांडवाें ने भगवान कृष्ण के कहने पर मां की आराधना कर विजयश्री का वरदान प्राप्त किया था।
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    कालीपुराण में मां बगलामुखी का वर्णन मिलता है। यहां के लोगों को अनुसार वर्ष की दोनाें नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में भक्ताें का ताता लगा रहता है। वहीं शारदीय व चैत्रीय नवरात्रि के दौरान तंत्र साधना के लिए यहां तांत्रिकों का जमावड़ा भी लगा रहता है।
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    परंतु इस वर्ष जहां चैत्र नवरात्रि पर्व पर कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर भक्तों के दर्शनार्थ पूर्णता बंद रहा, एवं इस दौरान मंदिर में सन्नाटा पसरा रहा।
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    तो वहीं अब शारदीय नवरात्रि पर्व पर भी कोविड-19 का ग्रहण लगा हुआ है, जिसके चलते भक्त मंदिर में शासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए कर माता के दर्शन सकते हैं। परंतु हवन अनुष्ठान कार्य नहीं कर सकते हैं।
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    इसी के चलते यह माना जा रहा है कि प्रतिवर्ष जहां मंदिर में नवरात्रि पर्व के दौरान लाखों की संख्या में भक्तों पहुंचते थे वहीं इस बार भक्तों की संख्या में काफी कमी आ सकती है।
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    तंत्र साधना का आदर्श स्थान है नलखेड़ा में स्थित हैं पांडव कालीन बगलामुखी मंदिर

    जिला मुख्यालय आगर से 35 किमी दूर नलखेड़ा में पीतांबरा सिद्धपीठ मां बगलामखी का मंदिर है। जहां त्रिशक्ति मां विराजित हैं। बीच में मां बगलामुखी, दाएं, मां लक्ष्मी तथा बाएं मां सरस्वती।