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Baijnath Temple: त्रेतायुग से स्थापित है यहां शिवलिंग, जिसमें स्वयं विराजमान हुए हैं भगवान भोलेनाथ
दुनियाभर में भगवान शंकर के अद्भुत मंदिर देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक मंदिर हिमाचल प्रदेश के कागड़ा जिले में स्थित बैजनाथ मंदिर है।
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Baijnath Temple: त्रेतायुग से स्थापित है यहां शिवलिंग, जिसमें स्वयं विराजमान हुए हैं भगवान भोलेनाथ
यह कांगड़ा जिले के बैजनाथ शहर में स्थित है। ये मंदिर आज भी त्रेतायुग की यादों को समेटे हुए हैं। कहते हैं कि लंकापति रावण की लाख कोशिशों के बाद भी वो यहां से शिवलिंग को हिला नहीं पाया था।
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Baijnath Temple: त्रेतायुग से स्थापित है यहां शिवलिंग, जिसमें स्वयं विराजमान हुए हैं भगवान भोलेनाथ
यही भी कहते हैं इस पवित्र स्थल पर भगवान शंकर अपनी मर्जी से विराजमान हुए थे। इस मंदिर को पहले कीरग्राम के नाम से भी जाना जाता था। ये मंदिर नागोरा शैली में बनाया गया है।
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Baijnath Temple: त्रेतायुग से स्थापित है यहां शिवलिंग, जिसमें स्वयं विराजमान हुए हैं भगवान भोलेनाथ
इस मंदिर के बारें में मान्यता है कि रावण तीनों लोकों पर अपना राज कायम करने के लिए कैलाश पर्वत पर तपस्या कर रहा था।भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए उसने अपने दस सिर हवन में काटकर चढ़ा दिए थे।
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Baijnath Temple: त्रेतायुग से स्थापित है यहां शिवलिंग, जिसमें स्वयं विराजमान हुए हैं भगवान भोलेनाथ
यही नहीं भोलेनाथ ने रावण को असीम शक्तियां भी दी जिससे वह परम शक्तिशाली बन गया था। उसके बाद शिव जी ने उससे वरदान मांगने के लिए कहा।
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Baijnath Temple: त्रेतायुग से स्थापित है यहां शिवलिंग, जिसमें स्वयं विराजमान हुए हैं भगवान भोलेनाथ
Cभगवान शिव ने उसकी ये इच्छा भी पूरी की और कहा कि वो जहां मंदिर बनवाएगा वहीं इस शिवलिंग को जमीन पर रखें क्योंकि जिस जगह ये शिवलिंग एक बार जमीन पर रखा जाएगा।
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Baijnath Temple: त्रेतायुग से स्थापित है यहां शिवलिंग, जिसमें स्वयं विराजमान हुए हैं भगवान भोलेनाथ
इस भव्य मंदिर में देश- विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में आने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।