होली खेलने के लिए रंग नहीं, यहां इस्तेमाल की जाती है ये चीज़
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    होली खेलने के लिए रंग नहीं, यहां इस्तेमाल की जाती है ये चीज़

    जैसे कि सब जानते हैं सभी जगह लोग अनेक रंगों से होली खेलते हैं। तो कुछ धार्मिक स्थलों पर रंगों से होली खेली जाती है।
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    होली खेलने के लिए रंग नहीं, यहां इस्तेमाल की जाती है ये चीज़

    परंतु क्या आप जानते हैं कि भारत में एक शहर ऐसा ही जहां रंगों से नहीं बल्कि मूर्दों की चिता की राख से होली खेली जाती है।
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    बता दें ऐसा कहीं और नहीं देवों के देव महादेव की नगरी काशी में होता है। बताया जाता है बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी बनारस के मणिकर्णिका घाट में रगों से नहीं शमशान की राख से होली खेली जाती है।
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    इस दौरान वो एक दूसरे पर चिता की राख फेंकते हैं, जिसे चिता भस्म की होली कहा जाता है। लोक मत के मुताबिक मां पार्वती के लौट आने पर भगवान शिव ने चिता की राख के साथ होली खेली थी।
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    जिसके बाद से भगवान शिव के अनन्य भक्त चिता की राख से होली खेलने लगे। बता दें होली के दिन चिता भस्म होली की शुरूआत श्मशान घाट के देवता महाशमशानाथ की प्रार्थना से शुरू होती है।
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    शिव भक्त ढोल नगाड़ों के साथ श्मशान घाट की राख से होली खेलते हैं। जिसका दृश्य देखने देश-विदेश श्रद्धालु काशी पहुंचते हैं।
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    कहा जाता है चिता की राख से खेले जाने वाली इस होली को खेलने से शिव कृपा मनुष्य को जन्म जन्मांतरों के पापों से मुक्ति मिल जाती है।