सालों से यहां पानी में निवास रहे हैं भोलेनाथ
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    सालों से यहां पानी में निवास रहे हैं भोलेनाथ

    आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां साल के 12 महीने भोलेनाथ पानी में निवास करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शंकर के इस मंदिर का इतिहास हज़ारों साल पुराना है और इसकी प्रसिद्धि विदेशों तक फैली हुई है।
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    सालों से यहां पानी में निवास रहे हैं भोलेनाथ

    3000 साल पहले यहां च्यवन ऋषि ने की मंदिर की स्थापना पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रकेश्वर नामक इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना च्यवन ऋषि ने की थीं। उनके आह्वान से मां नर्मदा गुप्त रूप से यहां प्रकट हुई थीं और शिवलिंग का पहली बार अभिषेक किया गया था।
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    माना जा रहा है कि उस समय से यहां एक वट वृक्ष से जलधारा निकल रही है जिसके कारण यहां स्थापित शिवलिंग सदैव जलमग्न रहता है।
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    ने तपस्या करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया उस समय नर्मदा नदी यहां से 60 किलोमीटर दूर बहती थी। उन्हें इस नदी में स्नान करने के लिए रोज़ाना बहुत लंबा सफ़र तय करना पड़ता था।
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    ऋषि की इसी लगन को देखकर मां नर्मदा उनसे प्रसन्न होकर और कहा कि मैं स्वयं आपके मंदिर के पास आ रही हूं। अगले दिन ही मंदिर में जलधारा फूटी और नर्मदा वहीं पहुंच गई।
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    कहा जाता है कि च्यवन ऋषि के बाद यहां कई ऋषियों ने तपस्या की, इनमें सप्तऋषि प्रमुख थे। बका दें कि यहां आने वाले भक्त पहले नर्मदा कुंड में स्नान करते हैं, फिर भगवान शिव के दर्शन करते हैं।