Chaul Maharashtra: इतिहास का दीदार कराता है ‘चौल’
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    Chaul Maharashtra: इतिहास का दीदार कराता है ‘चौल’

    महाराष्ट्र में अलीबाग के पास स्थित चौल कई राजवंशों के उत्थान और पतन का साक्षी रहा है। इतिहास इस तथ्य का भी गवाह है कि पुर्तगाली पहले चौल में, लगभग 500 साल पूर्व सन् 1521 में आए थे।
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    Chaul Maharashtra: इतिहास का दीदार कराता है ‘चौल’

    बाद में सन् 1570 में अहमदनगर के निजाम शाही सुल्तान द्वारा यह शहर नष्ट कर दिया गया लेकिन सन् 1613 में चौल शहर को पुन: स्थापित किया गया।
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    Chaul Maharashtra: इतिहास का दीदार कराता है ‘चौल’

    शहर पुर्तगाली खंडहर, पुराने चर्चों और आराधनालयों के साथ भरा हुआ है। शहर में आज भी ऐतिहासिक महत्व की इमारतों के खंडहर देखे जा सकते हैं।
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    Chaul Maharashtra: इतिहास का दीदार कराता है ‘चौल’

    मुम्बई से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित चौल दक्षिण की ओर स्थित रायगढ़ जिले के अंतर्गत आता है। यहां कोरलाई और चौल किले दो ऐसे ऐतिहासिक स्थान हैं जो आपको अतीत में ले जाते हैं।
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    Chaul Maharashtra: इतिहास का दीदार कराता है ‘चौल’

    मान्यताओं के अनुसार रेवदंडा में स्थित भगवान दत्तात्रेय के इस मंदिर का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में किया गया था। यह मंदिर पर्वत की एक शीर्ष चोटी पर स्थित है। लगभग 1500 सीढ़ियों की चढ़ाई द्वारा यहां पहुंचा जाता है।
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    Chaul Maharashtra: इतिहास का दीदार कराता है ‘चौल’

    ऊपर से चौल के साथ रेवदंडा का पूरा क्षेत्र दिखाई देता है। भगवान दत्त की जयंती यहां धूमधाम से 5 दिन तक मनाई जाती है। स्थानीय छात्रों को इस समय जयंती के उपलक्ष्य में विशेष अवकाश दिया जाता है।