>
X
Chehni Kothi: अनूठे प्रेम की साक्षी ‘चैहणी कोठी’
कहते हैं यह कोठी पहले 15 मंजिल ऊंची थी। 1905 के भूकंप में इसकी पांच मंजिलें गिर गईं। थड़े समेत अब भी इसकी 10 मंजिलें विद्यमान हैं।
<
>
X
Chehni Kothi: अनूठे प्रेम की साक्षी ‘चैहणी कोठी’
पुरातत्व की दृष्टि से यह कोठी महत्वपूर्ण वास्तुकृति है। चैहणी कोठी को कुल्लुई काठकुणी चिनाई से बनवाया गया है। इसका आधार वर्गाकार चौकोर है।
<
>
X
Chehni Kothi: अनूठे प्रेम की साक्षी ‘चैहणी कोठी’
प्रथम मंजिल से लेकर अंतिम मंजिल तक दीवारों की लम्बाई-चौड़ाई सम्मान है। चिनाई पत्थर और देवदार की लकड़ी की शहतीरों से की गई है।
<
>
X
Chehni Kothi: अनूठे प्रेम की साक्षी ‘चैहणी कोठी’
चारों दीवारों पर एक के ऊपर दूसरी शहतीर लगाई हुई है। इनके मध्य में घड़े हुए पत्थरों को चिना गया है। यही क्रम लगातार छत तक चलता हुआ दिखाई देता है।
<
>
X
Chehni Kothi: अनूठे प्रेम की साक्षी ‘चैहणी कोठी’
अंतिम मंजिल में दीवारों से बाहर 4 फुट चौड़ा बरामदा बना है। बीच-बीच में झरोखे रखे गए हैं जिनसे चारों ओर दृष्टिपात किया जाता है।
<
>
X
Chehni Kothi: अनूठे प्रेम की साक्षी ‘चैहणी कोठी’
इस कोठी में 5 मंजिल तक केवल पत्थर का थड़ा बनाया गया है। उसके बाद काठकुणी की चिनाई हुई है। अंतिम मंजिल तक पहुंचने के लिए थड़े से बरामदे तक देवदार के बड़े पेड़ की शहतीर से सीढ़ी लगाई गई है।
<
X
Chehni Kothi: अनूठे प्रेम की साक्षी ‘चैहणी कोठी’
इस कोठी के साथ ही ऊपर की तरफ शृंगा ऋषि का भंडार गृह 5 मंजिला कोट शैली में बना है जिसमें देवता का अनाज तथा बड़े बर्तन रखे जाते हैं। आज भी इस कोट में ढाढिया ठाकुर के वंशज रहते हैं।