Chhath Puja 2020: आज से चार दिवसीय पर्व आरंभ, वैदिक विधि से करें पूजा
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    Chhath Puja 2020: आज से चार दिवसीय पर्व आरंभ, वैदिक विधि से करें पूजा

    छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। 18 नवंबर से 20 नवंबर तक छठ का महापर्व मनाया जाएगा।
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    इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे अन्न तो क्या पानी भी नहीं ग्रहण करते है।
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    पहला पड़ाव: नहाय खाय पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है।
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    भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।
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    दूसरा पड़ाव: खरना दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है।
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    प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है।
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    तीसरा पड़ाव: संध्या अर्घ्य (डूबते सूरज की पूजा करना) तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं।
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    इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।
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    तीसरा पड़ाव: संध्या अर्घ्य तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। चौथा पड़ाव: सुबह का अर्घ्य (उगते सूरज की पूजा करना) चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। व्रत रखने वाले फिर वहीं इक्ट्ठा होते हैं जहां उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था।
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    फिर पिछले शाम की प्रक्रिया की दोहराई जाती है। अंत में कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूरा करते हैं।