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झीलों से होगी दिल्ली गुलजार, कई प्राकृतिक व कृत्रिम झीलों की सुधरेगी लाइफ लाइन
भलस्वा झील को किसी जमाने में देशी-विदेशी पक्षियों की मेजबानी करने के लिए जाना जाता था। खासकर जलपक्षी जैसे सारस व बत्तखों का यह प्रिय स्थान हुआ करता था। यह झील घोड़े की नाल के आकार की है।
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आजादपुर से यमुना नदी के वर्तमान तट तक दलदल के अवशेष फैले हुए थे। जोकि अब धीरपुर में देखने को मिलते हैं। धीरपुर झील को धीरपुर वेटलैंड कहा जाता है। हाल ही में धीरपुर की आर्द्रभूमि को बहाल करने का फैसला लिया गया था।
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इनमें संजय लेक, हौजखास लेक, स्मृति वन कोंडली, स्मृति वन वसंत कुंज, वेलकम झील, डिस्ट्रिक पार्क अवंतिका सेक्टर 1 रोहिणी, राजौरी गार्डन लेक इत्यादि शामिल हैं।
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कभी दिल्ली में बहने वाली साहिबी नदी जो यमुना नदी में मिलती थी, इसे बाद में नजफगढ़ झील और वर्तमान में नजफगढ़ नाला कहा जाने लगा।
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संजय वन झील दक्षिणी दिल्ली में स्थित है, जिसका संरक्षण दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है। संजय वन में स्थित यह झील एक प्राकृतिक झील है, जोकि अनंगपाल तोमर द्वितीय के लालकोट की प्राचीर के समीप स्थित है
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टिकरी खुर्द गांव में बनी झील को टिकरी खुर्द झील कहा जाता है। यह एक प्राकृतिक झील है, जिसे बैल झील यानि यमुना नदी का एक चैनल भी कहा जाता है। यह इस गांव का प्रमुख जल स्रोत हुआ करता था। क्षेत्रीय लोगों के लिए इसका खास महत्व है।