Dev Surya Mandir: अनूठा है औरंगाबाद का प्राचीन देव सूर्य मंदिर, पूर्व से नहीं बल्कि पश्चिम से खुलता है इसका मुख्य द्वार
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    Dev Surya Mandir: अनूठा है औरंगाबाद का प्राचीन देव सूर्य मंदिर, पूर्व से नहीं बल्कि पश्चिम से खुलता है इसका मुख्य द्वार

    बिहार के औरंगाबाद को सूर्य नगरी के नाम से भी जाना जाता है जिसकी वजह  है अनूठा देव सूर्य मंदिर। भारत में हिंदुओं का यह पहला मंदिर है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है।
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    Dev Surya Mandir: अनूठा है औरंगाबाद का प्राचीन देव सूर्य मंदिर, पूर्व से नहीं बल्कि पश्चिम से खुलता है इसका मुख्य द्वार

    मंदिर को पौराणिकता, शिल्पकला और महत्ता विरासत में मिली है जो अपनी भव्यता के लिए जहां प्रसिद्ध है, वहीं आस्था का बहुत बड़ा केंद्र भी है।
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    यह मंदिर अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए विख्यात है। पत्थरों को तराश कर उत्कृष्ट नक्काशी द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया है जो शिल्पकला की अनूठी मिसाल है।
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    यह मंदिर दो भागों में बना हुआ है। पहला गर्भ गृह, जिसके ऊपर कमल के आकार का शिखर है और इसके ऊपर सोने का कलश है।
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    Dev Surya Mandir: अनूठा है औरंगाबाद का प्राचीन देव सूर्य मंदिर, पूर्व से नहीं बल्कि पश्चिम से खुलता है इसका मुख्य द्वार

    यहां पर तालाब भी हैं। एक तालाब को लोग सूर्यकुंड कहते हैं। इस तालाब का संबंध समुद्र से बताया गया है। शायद इसीलिए इस देव नगरी के करीब तीन किलोमीटर की दूरी तक कुएं और तालाब का पानी खारा है।
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    मंदिर के साथ लगते तालाब के बारे में बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के निर्वासित राजा ऐल को यहां स्नान करने से कुष्ठ जैसे असाध्य रोग से मक्ति मिली थी।
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    Dev Surya Mandir: अनूठा है औरंगाबाद का प्राचीन देव सूर्य मंदिर, पूर्व से नहीं बल्कि पश्चिम से खुलता है इसका मुख्य द्वार

    प्रतिदिन सुबह चार बजे भगवान को जगा कर स्नान के उपरांत वस्त्र पहनाकर फूल-माला चढ़ाकर प्रसाद के भोग लगाए जाते हैं। उसके बाद ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’ का पाठ भगवान को सुनाने की प्रथा आदिकाल से चली आ रही है।