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Durga Puja: अनूठी परम्पराएं हैं सिंदूर खेला और देवी बोरन
आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी पर देश के कई शहरों में रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में विजयदशमी को विजया कहा जाता है और चार दिन पूजा-अर्चना करने के बाद इसी दिन मां दुर्गा को विदाई देने यानी विसर्जन का विधान है।
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Durga Puja: अनूठी परम्पराएं हैं सिंदूर खेला और देवी बोरन
जिस तरह बंगाल की दुर्गा पूजा का इतिहास सैंकड़ों वर्ष पुराना है, ठीक उसी तरह विसर्जन से पूर्व पूजा पंडाल में देवी दुर्गा के साथ सुहागन महिलाओं द्वारा सिंदूर अर्पण करने का इतिहास भी काफी प्राचीन है।
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Durga Puja: अनूठी परम्पराएं हैं सिंदूर खेला और देवी बोरन
इस रस्म को बंगाल में ‘सिंदूर खेला’ कहा जाता है। नवरात्रि के मौके पर बंगाल में जितनी भव्यता से देवी का स्वागत किया जाता है, उतनी ही आत्मीयता से मां दुर्गा को विदा भी किया जाता है।
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Durga Puja: अनूठी परम्पराएं हैं सिंदूर खेला और देवी बोरन
विदाई से ठीक पहले सिंदूर खेला की रस्म की जाती है, जिसमें सुहागिन महिलाएं भाग लेती हैं।
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Durga Puja: अनूठी परम्पराएं हैं सिंदूर खेला और देवी बोरन
कुछ साल पहले तक इस रस्म में विधवा, तलाकशुदा, किन्नर और नगरवधुओं को शामिल नहीं किया जाता था, लेकिन अब सामाजिक बदलाव के कारण सभी महिलाओं को सिंदूर खेला की रस्म में शामिल किया जाने लगा है।
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Durga Puja: अनूठी परम्पराएं हैं सिंदूर खेला और देवी बोरन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बंगाल में यह रस्म 450 साल से निभाई जा रही है। कहा जाता है कि इस रस्म को निभाने से सुहाग को लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त होता है।