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भारत की पहली दरगाह, जहां होली का जश्न मनाया जाता है
बाराबंकी स्थित देवा स्थित सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की मजार पर मनाई जाने वाली होली गंगा जमुनी तहजीब के रंग घोलती नजर आती है। यहां हिंदू-मुस्लिम युवक एक साथ रंग व गुलाल में डूब जाते हैं।
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भारत की पहली दरगाह, जहां होली का जश्न मनाया जाता है
अली शाह के चाहने वाले सभी धर्म के लोग थे। इसलिए हाजी साहब हर वर्ग के त्यौहारों में बराबर भागीदारी करते थे।
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भारत की पहली दरगाह, जहां होली का जश्न मनाया जाता है
यह देश की पहली दरगाह है, जहां होली के दिन रंग-गुलाल के साथ जश्न मनाया जाता है।
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भारत की पहली दरगाह, जहां होली का जश्न मनाया जाता है
इसमें आपसी कटुता को भूलकर दोनों समुदाय के लोग भागीदारी करके संत के ‘जो रब है, वहीं राम है’ के संदेश को पुख्ता करते हैं।
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भारत की पहली दरगाह, जहां होली का जश्न मनाया जाता है
प्राचीन काल से मुगल बादशाहों ने तो धूमधाम से होली मनाने की परम्परा को निभाया।
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भारत की पहली दरगाह, जहां होली का जश्न मनाया जाता है
अकबर, हुमायूं, जहांगीर शाहजहां और बहादुरशाह जफर होली के आगमन से बहुत पहले ही रंगोत्सव की तैयारियां प्रारंभ कराते थे।