सबसे पहले यहां हुई थी शिवलिंग की पूजा, क्या आप जानते हैं ये जगह
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    सबसे पहले यहां हुई थी शिवलिंग की पूजा, क्या आप जानते हैं ये जगह

    उत्तारखंड के अल्मोडा जिले के मुख्यालय से करीब 40 कि.मी दूर देवदार पेड़ों के घने जंगलों के बीचो-बीच नागेश्वर मंदिर स्थित है।
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    जिसमें देवी मृत्युंजय यानि भगवान शंकर के साथ देवी पार्वती, हनुमान जी, भैरव, देवीदुर्गा तथा अन्य 124 मंदिर स्थित है। कहा जाता है इन समस्त मंदिरों में पुजारियों द्वारा विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।
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    भारतीय पुरातत्व विभाग की मानें तो इस मंदिर को देश के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता ह है बल्कि बकायदा इसकी घोषणा करता एक शिलापट्ट भी यहां लगा हुआ मिलता है।
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    मंदिर के पुजारियों की मानें तो एक सचाई यह भी है कि इसी मंदिर से ही भगवान शिव की लिंग पूजा के रूप में शुरूआत हुई थी।
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    तथा यहा शिव जी के पदचिह्न भी हैं। प्रचलित किंवदंतियों की मानें तो शिव जी के पदचिह्न वहीं देवभूमि, उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के मंदिर के पास स्थित हैं।
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    ऐसी मान्यता है कि पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने प्राचीन काल में अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।
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    जिसके बाद से यहां शिव जी के लिंग रूप की पूजा का आरंभ हुआ। जिसके बाद पूरी दुनिया में शिवलिंग की पूजा की जाने लगी।
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    इसलिए ऐसा कहा जाता है इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग यहां स्थापित शिवलिंग स्वयं निर्मित यानि अपने आप उत्पन्न हुआ है अर्थात इसकी किसी न स्थापना नहीं की।