भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?
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    भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?

    राजस्थान में सवाई माधोपुर जिले में गणेश मंदिर स्थित है, जो विश्व धरोहरों में शामिल रणथम्भौर दुर्ग के भीतर बना है। अरावली और विंध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित दुर्ग में विराजे त्रिनेत्र गणेश की बात ही कुछ निराली है।
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    भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?

    यह मंदिर प्रकृति व आस्था का अनूठा संगम है। भारत के कोने-कोने से लाखों की तादाद में दर्शनार्थी यहां भगवान त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु आते हैं।
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    भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?

    मंदिर का निर्माण महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था लेकिन मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है।इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान हैं जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
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    भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?

    पूरी दुनिया में यही एक मंदिर है जहां भगवान गणेश अपने पूर्ण परिवार, दो पत्नियों - रिद्धि और सिद्धि एवं दो पुत्रों-शुभ और लाभ, के साथ विराजमान हैं।
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    भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?

    भारत में चार ही स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते हैं जिनमें यह त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम हैं। इस मंदिर के अलावा सिद्धपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्धपुर सिहोर मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है।
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    भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?

    कहा जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य, जिन्होंने विक्रम सम्वत् की गणना शुरू की, प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु जाते थे।
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    भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?

    बता दें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी की प्रतिमा दुनिया की एक मात्र गणेश मूर्ती है जो तीसरा नयन धारण किए दिखाई पड़ती है।
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    भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?

    गजवंदनम् चितयम् नामक ग्रंथ में विनायक के तीसरे नेत्र का बाखूबी वर्णन किया गया है।
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    भगवान शिव के अलावा क्या गणपति बप्पा के भी हैं तीन नेत्र, इस जगह से जुड़ी है कहानी?

    समें किए उल्लेख के अनुसार भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र उत्तराधिकारी के रूप में सौम पुत्र गणपति को सौंप दिया था अतः इस तरह महादेव की सारी शक्तियां गजानन में निहित हो गईं और वे त्रिनेत्र बने।