Gond Tribe- अनूठे रीति-रिवाजों वाले ‘गोंड आदिवासी’
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    Gond Tribe- अनूठे रीति-रिवाजों वाले ‘गोंड आदिवासी’

    विभिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं और परम्पराओं के लिए देश भर में विशिष्ट पहचान बनाने वाला मध्य प्रदेश अपनी आदिवासी जनसंख्या के लिए भी जाना जाता है।
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    Gond Tribe- अनूठे रीति-रिवाजों वाले ‘गोंड आदिवासी’

    मध्य प्रदेश में विभिन्न जनजातियों के लोग आज भी अपनी आदिम संस्कृति को सहेजे और समेटे हुए हैं।
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    इनमें से एक महत्वपूर्ण और प्रमुख जनजाति है गोंड। गोंड आदिवासी मध्य प्रदेश के बैतूल, होशंगाबाद, सागर, दमोह, रायसेन, बालाघाट, मंडला, खंडवा, शहडोल सहित अन्य जिलों में रहते हैं।
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    माना जाता है कि पांचवीं व छठी शताब्दी के करीब यह जनजाति दक्षिण के गोदावरी तट के किनारे-किनारे से होते हुए मध्य भारत तक आ पहुंची थी।
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    Gond Tribe- अनूठे रीति-रिवाजों वाले ‘गोंड आदिवासी’

    गोंड को आस्ट्रोलायट नस्ल और द्रविड़ परिवार की जनजाति माना जाता है। यह मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है।
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    मध्य प्रदेश की अनुसूची में इस जनजाति की 50 से भी अधिक उपशाखाएं बताई गई हैं। गोंड जनजाति का अपना समृद्ध और सम्पन्न इतिहास रहा है।
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    Gond Tribe- अनूठे रीति-रिवाजों वाले ‘गोंड आदिवासी’

    15वीं से 17वीं शताब्दी तक गोंडवाना में अनेक गोंड राजवंशों ने सफलतापूर्वक शासन किया था। प्रमाण के आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि गोंड जाति का संबंध सिन्धु घाटी की सभ्यता से भी रहा है।