Grishneshwar Jyotirlinga: भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग, नि:संतान दंपतियों को यहां मिलता है संतान सुख का आशीर्वाद
  • >X

    Grishneshwar Jyotirlinga: भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग, नि:संतान दंपतियों को यहां मिलता है संतान सुख का आशीर्वाद

    घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। भगवान भोलेनाथ का यह प्रसिद्ध मंदिर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर वेरूल नामक गांव में है।
  • <>X

    Grishneshwar Jyotirlinga: भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग, नि:संतान दंपतियों को यहां मिलता है संतान सुख का आशीर्वाद

    इस ज्योतिर्लिंग को घुष्मेश्वर भी कहा जाता है। शिवमहापुराण में भगवान शिव के इस 12वें तथा अंतिम ज्योतिर्लिंग का उल्लेख है। घृष्णेश्वर मंदिर 13वीं-14वीं शताब्दी में मुगल-मराठा संघर्ष के दौरान कई बार नष्ट हुआ और अनेक बार इसका पुननिर्माण किया गया।
  • <>X

    Grishneshwar Jyotirlinga: भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग, नि:संतान दंपतियों को यहां मिलता है संतान सुख का आशीर्वाद

    16वीं सदी मेंं वेरूल के मालोजी भोसले (शिवाजी महाराज के दादा) ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया था। मुगल साम्राज्य के पतन के बाद इंदौर की रानी अहल्याबाई होलकर ने 18वीं शताब्दी में वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण करवाया।
  • <>X

    Grishneshwar Jyotirlinga: भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग, नि:संतान दंपतियों को यहां मिलता है संतान सुख का आशीर्वाद

    देवगिरि पर्वत के पास सुधर्मा ब्राह्मण पत्नी सुदेहा के साथ रहता था। उनकी कोई संतान नहीं थी। सुदेहा ने अपने पति का विवाह छोटी बहन घुष्मा से करवा दिया, जो भगवान शिव की परम भक्त थी। वह रोज 100 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करती और उन्हें तालाब में विसर्जित कर देती।
  • <X

    Grishneshwar Jyotirlinga: भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग, नि:संतान दंपतियों को यहां मिलता है संतान सुख का आशीर्वाद

    समय के साथ छोटी बहन की खुशी बड़ी बहन सुदेहा से देखी नहीं गई और एक दिन उसने छोटी बहन के पुत्र की हत्या करके तालाब में फैंक दिया। पूरा परिवार दुख से घिर गया पर शिव भक्त घुष्मा को अपने आराध्य भोलेनाथ पर पूरा भरोसा था।