महाभारत का ये पात्र रोज़ाना करता है यहां शिवलिंग का अभिषेक
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    महाभारत का ये पात्र रोज़ाना करता है यहां शिवलिंग का अभिषेक

    मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर के ग्वारीघाट नर्मदा नदी के किनारे एक ऐसी जगह है जिसके बारे में कहा जाता है यहां महाभारत के पात्र अश्वत्थामा भटकतें हैं।
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    महाभारत का ये पात्र रोज़ाना करता है यहां शिवलिंग का अभिषेक

    इसके अलावा कुछ लोगों का मानना है कि अश्वत्थामा असीरगढ़ किले में भी भटकते हैं। बता दें द्वापरयुग में जन्मे अश्वत्थामा की गिनती उस समय के श्रेष्ठ योद्धाओं में होती थी।
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    राणिक कथाओं के अनुसार जब द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा की मृत्यु की सत्यता जाननी चाही तो युधिष्ठिर ने जवाब दिया कि अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो वा अर्थात- अश्वत्थामा मारा गया है, लेकिन मुझे पता नहीं कि वह नर था या हाथी।
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    यह सुन गुरु द्रोण पुत्र मोह में शस्त्र त्याग कर युद्धभूमि में बैठ गए और उसी अवसर का लाभ उठाकर पांचाल नरेश द्रुपद के पुत्र धृष्टद्युम्न ने उनका वध कर दिया।
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    पिता की मृत्यु से अश्वत्थामा विचलित हो गए और उनकी मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए पांडव पुत्रों का वध करने के लिए आतुर हो गए।इसी के चलते उन्होंने पांडव वंश के समूल नाश के लिए उत्तरा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु पुत्र परीक्षित को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया।
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    तब भगवान श्रीकृष्ण ने परीक्षित की रक्षा कर दंड स्वरूप अश्वत्थामा के माथे पर लगी मणि निकालकर उन्हें तेजहीन कर दिया और युगों-युगों तक भटकते रहने का श्राप दे दिया था।
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    कहा जाता है असीरगढ़ किले में स्थित तालाब में स्नान करके अश्वत्थामा शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करने जाते हैं।
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    इतना ही नहीं कुछ लोगों का कहना है कि वो सावन में यहां आकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि पहाड़ की चोटी पर बने किले में स्थित यह तालाब बुरहानपुर की तपती गर्मी में भी कभी सूखता नहीं