Gurdwara Garhi Sahib: ‘गढ़ी चमकौर’ में 40 सिंहों ने किया था मुगल फौज का मुकाबला
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    Gurdwara Garhi Sahib: ‘गढ़ी चमकौर’ में 40 सिंहों ने किया था मुगल फौज का मुकाबला

    गुरु गोबिंद सिंह जी 6 और 7 पौष की बीच वाली रात को (5 और 6 दिसम्बर 1705 ईस्वी को) आनंदपुर साहिब को छोड़ कर आ गए और रास्ते में सिखों और मुगल फौजों के बीच भारी जंग हुई।
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    गुरु जी का परिवार बिछुड़ गया। छोटे साहिबजादे और माता गुजरी जी गुरु घर के रसोइया गंगू ब्राह्मण के साथ सहेड़ी गांव को चले गए और बड़े साहिबजादे श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और सिंहों के साथ चमकौर साहिब जी की ओर चल पड़े।
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    माता सुंदरी जी और माता साहिब कौर जी भाई मनी सिंह जी के साथ दिल्ली की तरफ चले गए।
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    साहिब में जगत सिंह की हवेली थी। गुरु जी ने 5 सिंहों को उसके पास भेजा और हवेली या गढ़ी की मांग की जिससे दुश्मन फौज का मुकाबला करने के लिए कोई अड्डा बन सके।
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    जगत सिंह मुगल सेना से डरते हुए न माना। गुरु जी ने उसको गढ़ी का किराया देने और फिर पूरा मूल्य देने की भी पेशकश की परंतु वह नहीं माना।
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    फिर जगत सिंह के छोटे भाई रूप सिंह को गुरु जी ने बुलाया जो अपने हिस्से की गढ़ी देना मान गया। गुरु जी भाई रूप सिंह की गढ़ी में आ गए।
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    जिस कच्ची गढ़ी में 40 सिंहों ने गुरु जी के नेतृत्व में यह जंग लड़ी थी वहां गुरुद्वारा गढ़ी साहिब बना हुआ है।