Hanuman Jayanti 2020: आज भी रहस्यात्मक है श्री हनुमान का जन्म स्थान
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    Hanuman Jayanti 2020: आज भी रहस्यात्मक है श्री हनुमान का जन्म स्थान

    वर्तमान झारखंड प्रदेश के अंतर्गत छोटानागपुर का दक्षिणी हिस्सा वास्तव में दण्डकारण्य का प्रवेश द्वार है। यहां जनपद गुमला के प्रखंड गुमला (गोमेला) अंतर्गत आंजन नामक ग्राम है।
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    Hanuman Jayanti 2020: आज भी रहस्यात्मक है श्री हनुमान का जन्म स्थान

    इसे माता अंजनी एवं केसरीनंदन, शंकर सुवन, पवन पुत्र हनुमान की जन्मस्थली माना जाता है। गुमला से उत्तर की ओर 15 किलोमीटर दूर घाघरा मार्ग पर एक ग्राम है टोटो। टोटो से पश्चिम की ओर 6 किलोमीटर दूर है आंजन।
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    जनपद लोहरदगा मुख्यालय से यह 40 किलोमीटर दूर है। झारखंड की राजधानी रांची से लोहरदगा, घाघरा, टोटो, फिर आंजन है। आंजन ग्राम से साढ़े 6 किलोमीटर दूर है आंजन पहाड़, जिसकी एक गुफा में लगभग 3 फुट की ऐसी प्रतिमा मिली है।
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    जिसमें माता अंजनी की गोद में बाल रूप हनुमान बैठे हैं। यह प्रतिमा विश्व में अद्वितीय है।आंजन ग्राम में प्रमुखत: उरांव जनजाति के निवासी हैं। इस गांव के चहुं ओर इसी जाति का निवास प्रमुखत: है।
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    Hanuman Jayanti 2020: आज भी रहस्यात्मक है श्री हनुमान का जन्म स्थान

    ये माता अंजनी एवं हनुमान को अपने में से ही मानते हैं। इनका कथन है कि हनुमान व उनकी माता अंजनी उनके पूर्वज हैं, जिनकी वे पूजा करते हैं। यहां लोग प्रत्येक वर्ष चैत्र रामनवमी को एकत्र होकर आंजन पहाड़ की उस गुफा के ऊपर का भारी पत्थर हटाकर प्रतिमा की पूजा करते थे, पश्चात पुन: पत्थर रखकर चले आते थे।
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    माता अंजनी की गोद में बैठे बाल हनुमान की प्रतिमा पहाड़ की गुफा में भी स्थापित की गई। आंजन बहुत ही पुराना गांव है। यहां शिवलिंग की पूजा-अर्चना की परम्परा अति प्राचीन है। शिवधाम भी पास ही है। वैसे शिवलिंगनुमा पत्थर खेत टांड़-डांड़ में भी बिखरे मिलते हैं।
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    स्थानीय किंवदंती है कि हनुमान जन्म के पश्चात माता अंजनी आगे एक वर्ष के 360 दिनों की गणना के अनुसार प्रत्येक दिन एक तालाब में स्नान कर एक नए स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर, महुए का एक पेड़ लगाती थीं।
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    रांची गजेटियर के अनुसार किसी प्राचीन राजा ने यहां 300 शिवलिंगों की स्थापना की थी एवं 300 तालाब खुदवाए थे। अभी भी यहां 22 शिवलिंग, 25 महुए के पेड़ एवं साथ ही सेयान, पुरईन, करकट आदि नामों के कुल 14 तालाब बचे हुए हैं।
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    वैसे आज भी प्राय: 100 से अधिक शिवलिंग उस काल के हैं, जो मूल स्थानों पर पड़े हैं पर 22 की स्थिति अच्छी है। आंजन पहाड़ पर स्थित चक्रधारी मंदिर में आठ शिवलिंग दो पंक्तियों में स्थापित हैं।
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    इन्हें अष्ट शंभू कहा जाता है। चक्रधारी (मंदिर में स्थापित) शिवलिंग के ऊपर चक्र है जो अपने ढंग का अकेला है क्योंकि चक्रधारी शिवलिंग संभवत: और कहीं नहीं है। यह चक्र एक भारी पत्थर का बना है। चक्र के मध्य एक छेद है। शिवलिंग के अति समीप एक त्रिशूल स्थापित है।
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    आंजन से लगभग 35 किलोमीटर पूर्व-दक्षिण में किष्किंधा पर्वत, पालकोट (गुमला) में है और वहां से इतनी ही दूर पूर्व-दक्षिण में श्री रामरेखा धाम है। गुमला से दक्षिण-पश्चिम में भगवान श्री राम की प्रसिद्ध गुफा, रामगुफा है।