Harihareshwar Temple: विष्णु एवं शिव का संयोजन है हरिहरेश्वर मंदिर
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    Harihareshwar Temple: विष्णु एवं शिव का संयोजन है हरिहरेश्वर मंदिर

    तुंगभद्रा एवं हरिद्रा नदी के संगम तट पर बसा एक हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर 1223-1224 सी.ई 1224 ए.डी. में होयशाला राजा नरसिम्हा द्वितीय के मंत्री एवं कमांडर पल्लवा ने बनाया था।
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    Harihareshwar Temple: विष्णु एवं शिव का संयोजन है हरिहरेश्वर मंदिर

    1268 सी.ई. में इसी राजवंश के राजा नरसिम्हा तृतीय के कमांडर सोमा ने इसमें कुछ ओर संरचनाएं बनाईं। मंदिर में हिन्दू देवताओं विष्णु एवं शिव का संयोजन है। इसमें दाहिने लम्बवत आधे भाग में शिव एवं बाएं ऊर्ध्वाधर आधे हिस्से में विष्णु की छवि है।
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    Harihareshwar Temple: विष्णु एवं शिव का संयोजन है हरिहरेश्वर मंदिर

    एक हिन्दू किंवदंती के अनुसार, गुहासुर नामक राक्षस यहां रहता था, जिसने पूर्व में उच्चांगी दुर्ग, दक्षिण में गोविनाहालू, पश्चिम में मुदनूर और उत्तर में ऐरानी तक का क्षेत्र अपने नियंत्रण में कर लिया था। गुहासुर ने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त किया।
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    वरदान के अनुसार भगवान हरि (विष्णु) या भगवान हर (शिव) के लिए उसको अकेले मारना असंभव होता। इस प्रकार गुहासुर देवताओं एवं मनुष्यों के लिए पीड़ादायक बन गया।
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    ब्रह्मा जी के वरदान की काट तथा इससे छुटकारा पाने हेतु विष्णु एवं शिव ने मिलकर हरिहर (एक संलयन) रूप धारण किया तथा गुहासुर राक्षस को मार डाला।
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    इस मंदिर को बनाने में सोप स्टोन (जिसे पोट स्टोन भी कहते हैं) का इस्तेमाल किया गया। 12वीं एवं 13वीं शताब्दी के कन्नड़ शिलालेख इसमें पाए जाते हैं। इस मंदिर को हरिहरेश्वर, पुष्पाद्री, हरिशिनाचल एवं ब्रहाद्री की पहाड़ियां घेरे हुए हैं।