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18 साल बाद नर्मदा नदी में डूब जाता है ये शिव मंदिर, पानी में लहराता मंदिर का झंडा
हरिहरेश्वर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित एक छोटा-सा खूबसूरत शहर है। चार पहाडिय़ों ब्रह्माद्री, पुष्पाद्री, हर्षिनाचल और हरिहर से घिरा हुआ हरिहरेश्वर कोंकण क्षेत्र में है और एक ओर से हरे भरे जंगलों तथा दूसरी ओर से प्राचीन समुद्र तटों से घिरा हुआ है।
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18 साल बाद नर्मदा नदी में डूब जाता है ये शिव मंदिर, पानी में लहराता मंदिर का झंडा
यह स्थान हरिहरेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो भगवान शिव को समर्पित है, यही कारण है कि इसे देवघर अर्थात हरि (भगवान) का घर भी कहा जाता है, यहां सावित्री नदी अरब सागर में मिलती है। हरिहरेश्वर अपने खूबसूरत समुद्र तटों के लिए प्रसिद्ध है, जो वीकेंड के लिए आदर्श स्थान है।
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पास स्थित पुष्पाद्रि पहाड़ी संपूर्ण स्थान की सुंदरता को और बढ़ाती है। एक प्रमुख धार्मिक स्थान होने के कारण इसे दक्षिण काशी भी कहा जाता है। यह विभिन्न देवों, भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के मंदिरों का घर है।
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कालभैरव मंदिर और योगेश्वरी मंदिर अन्य दो धार्मिक स्थान हैं। हरिहरेश्वर का उद्भव मराठों के शासन काल में महान शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के समय हुआ था। प्रथम पेशवा शासक बाजीराव सन् 1723 में यहां आए थे।
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यहां के अनेक मंदिरों और स्मारकों की प्राचीन वास्तुकला उस समय अपनाई गई भारतीय वास्तुकला शैली के प्रमाण हैं। प्रत्येक मंदिर की मूर्ति से एक कहानी जुड़ी हुई है। कई हिन्दू प्राचीन कथाएं हैं जो आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी।
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हरिहरेश्वर समुद्र तट हरिहरेश्वर शहर का एक प्रमुख आकर्षण है। समुद्र तट बहुत सुंदर है और कुछ समय रुकने के लिए उपयुक्त है। यहां की रेत नरम, सफेद और साफ है और हर समय यहां आरामदायक हवा बहती रहती है। ऐसा कहा जाता है 18 साल के बाद ये मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब जाता है।