Harshnath Temple: इस मंदिर में भगवान शिव को हर्षनाथ रूप में पूजा जाता है, पढ़ें अद्भुत मंदिर का इतिहास
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    Harshnath Temple: इस मंदिर में भगवान शिव को हर्षनाथ रूप में पूजा जाता है, पढ़ें अद्भुत मंदिर का इतिहास

    राजस्थान के शेखावाटी के हृदयस्थल सीकर नगर से 16 किलोमीटर दूर दक्षिण में हर्ष पर्वत स्थित है जो अरावली पर्वत शृंखला का एक भाग है।
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    यह पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व पुरातत्व की दृष्टि से प्रसिद्ध, सुरम्य एवं रमणीक प्राकृतिक स्थल है। हर्ष पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3,100 फुट है जो राजस्थान के सर्वोच्च स्थान आबू पर्वत से कुछ कम है।
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    इस पर्वत का नाम हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा। यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि दुर्दांत राक्षसों ने स्वर्ग से इंद्र व अन्य देवताओं को बाहर निकाल दिया था।
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    भगवान शिव ने इस पर्वत पर इन राक्षसों का संहार किया था। इससे देवताओं में अपार हर्ष हुआ और उन्होंने शंकर की आराधना व स्तुति की। इस प्रकार इस पहाड़ को हर्ष पर्वत एवं भगवान शंकर को हर्षनाथ कहा जाने लगा।
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    हर्ष पर्वत पर (973 ई.) के शिलालेख की भाषा संस्कृति और लिपि विकसित देवनागरी है। इसमें हर्षिगरी, हर्षनगरी तथा हर्षनाथ का भी विवरण दिया गया है।
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    कहा जाता है कि 1671 ईस्वी में मुगल बादशाह औरंगजेब के निर्देशों पर सेनानायक खान जहान बहादुर द्वारा जानबूझ कर इस क्षेत्र के मंदिरों को नष्ट व ध्वस्त किया गया था।
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    हर्षनाथ मंदिर को कई गांव जागीर के तौर पर प्रदान किए गए थे। इस मंदिर का ऊंचा शिखर सुदूर स्थानों व मार्गों से देखा जा सकता है। हर्ष का मुख्य मंदिर भगवान शंकर की पंचमुखी प्रतिमा वाला है।