Jagannath Rath Yatra: भक्त एवं भगवान का मंगल मिलन है जगन्नाथ रथयात्रा
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    Jagannath Rath Yatra: भक्त एवं भगवान का मंगल मिलन है जगन्नाथ रथयात्रा

    भारतीय जनमानस की भक्ति के प्राणाधार श्री कृष्ण का सबसे दयालु स्वरूप भगवान जगन्नाथ है। भगवान जगन्नाथ अर्थात भक्त के नाथ, जगत के नाथ दयालु भगवान। इस स्वरूप में विशाल नेत्रों के साथ बांहें पसारे भगवान जगन्नाथ भक्त को अपने आलिंगन में लेने के लिए उसे पुकार रहे हैं।
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    Jagannath Rath Yatra: भक्त एवं भगवान का मंगल मिलन है जगन्नाथ रथयात्रा

    भगवान जगन्नाथ रथयात्राओं के आयोजन का वास्तविक अर्थ भक्त एवं भगवान का परस्पर साक्षात्कार और वास्तविक मिलन है, जिसे देश-विदेश में अंतर्राष्ट्रीय श्री कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) पूर्ण भक्तिभाव से निभा रहा है।
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    Jagannath Rath Yatra: भक्त एवं भगवान का मंगल मिलन है जगन्नाथ रथयात्रा

    जगन्नाथ रथयात्रा शुरू होने की पौराणिक कथा के अनुसार लगभग 5000 वर्ष पूर्व द्वापर युग में लीला पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण जब वृंदावन त्याग कर द्वारिका नगरी में अपनी पत्नियों संग निवास कर रहे थे, तभी एक बार पूर्ण सूर्य ग्रहण का विरल अवसर आया।
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    Jagannath Rath Yatra: भक्त एवं भगवान का मंगल मिलन है जगन्नाथ रथयात्रा

    इस अवसर पर सभी यदुवंशियों ने कुरुक्षेत्र स्थित समन्त पंचक नामक पवित्र तीर्थ पर एकत्रित होने तथा वहां स्नान, उपवास, दान आदि करके अपने पापों का प्रायश्चित करने का निश्चय किया।
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    Jagannath Rath Yatra: भक्त एवं भगवान का मंगल मिलन है जगन्नाथ रथयात्रा

    निश्चय के अनुरूप समस्त द्वारिका वासियों ने श्री कृष्ण के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र की ओर प्रस्थान किया।
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    Jagannath Rath Yatra: भक्त एवं भगवान का मंगल मिलन है जगन्नाथ रथयात्रा

    वियोगिनी राधा रानी एवं वृंदावन वासियों को जब श्री कृष्ण के कुरुक्षेत्र आने का पता चला तो उन्होंने नन्द बाबा के नेतृत्व में श्री कृष्ण के दर्शनार्थ कुरुक्षेत्र जाने का निश्चिय किया।