जागेश्वर स्थान: 1500 फीट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर में जागृत हैं भोलेनाथ
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    जागेश्वर स्थान: 1500 फीट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर में जागृत हैं भोलेनाथ

    काठगोदाम स्टेशन से लगभग 130 कि.मी. की दूरी पर बसा प्रकृति की गोद में अपने अन्दर अनेक रहस्यों को समेटे रहने वाला ‘जागेश्वर स्थान’ प्रकृति एवं आस्था का अनोखा संगम है।
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    जागेश्वर स्थान: 1500 फीट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर में जागृत हैं भोलेनाथ

    इस स्थान पर भगवान शंकर का एक जागृत शिवलिंग है। जागेश्वर स्थान पर स्थित शिवलिंग द्वादश शिवलिंगों में से एक है। देवदार के वृक्षों के बीच स्थित यह स्थान जहां आध्यात्मिक क्रिया कलापों के लिए एक शांत स्थान है, वहीं प्रकृति की सुन्दरता ने इसे सुरम्य बना डाला है।
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    जागेश्वर स्थान: 1500 फीट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर में जागृत हैं भोलेनाथ

    सामने फैली घाटी, सीढ़ीदार खेतों एवं पहाड़ी मकानों का आकर्षण बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। चारों तरफ फैली हरियाली एवं भव्य पहाड़ प्रकृति के विशेष आनन्द प्रदान करने में सक्षम हैं।
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    जागेश्वर स्थान: 1500 फीट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर में जागृत हैं भोलेनाथ

    जागेश्वर मन्दिर के प्रांगण में लगभग सवा सौ छोटे-बड़े मन्दिर हैं। इन मन्दिरों में जागेश्वर नाथ के अतिरिक्त महामृत्युंजय नाथ, तांडेश्वर नाथ, पुष्टिमाता, अन्नपूर्णा माता आदि के भी मंदिर हैं।
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    ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार आठवीं एवं बारहवीं शताब्दी में इन मन्दिरों का निर्माण हुआ था। जागेश्वर मन्दिर में पीतल की दो-दो फुट लंबी दो प्रतिमाएं हैं जिनमें से एक के हाथ में अखंड ज्योत वाला दीपक है।
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    जागेश्वर स्थान: 1500 फीट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर में जागृत हैं भोलेनाथ

    ये प्रतिमाएं चांद शासकों की हैं जो बाबा जागेश्वर के अनन्य भक्त थे। स्थानीय निवासियों के अनुसार घनघोर हिमपात होने के बावजूद यह दीपक निरंतर जलता रहता है।
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    पुष्टिमाता मन्दिर में देवी की मूर्ति है। महामृत्युंजय मंदिर में विशाल शिवलिंग है।
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    जागेश्वर स्थान: 1500 फीट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर में जागृत हैं भोलेनाथ

    स्थानीय निवासी बताते हैं कि प्राचीन काल में सभी मन्दिरों में भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां थीं जिन्हें 1935 में अंग्रेजों द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से एक जगह कर दिया गया था।