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Kalighat mandir: कोलकाता के इस मंदिर में छुपा है शक्ति का अनोखा स्वरूप, जानिए रहस्य से भरी परंपरा
कोलकाता का कालीघाट मदिंर मां देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है। जिसे हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर के दर्शन करने नवरात्रि में मां के भक्त बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं।
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Kalighat mandir: कोलकाता के इस मंदिर में छुपा है शक्ति का अनोखा स्वरूप, जानिए रहस्य से भरी परंपरा
मान्यता है कि यहां माता सती के दाहिने पैर की उंगलियां गिरी थी। इस मंदिर में दो संतों आत्माराम ब्रह्मचारी और ब्रह्मानंद गिरी द्वारा निर्मित टचस्टोन की मूर्ति में तीन विशाल आंखें हैं और एक लंबी उभरी हुई सुनहरी जीभ है।
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यहां नवरात्रि पर मां काली की दुर्गा के रुप में बहुत निष्ठा भाव से अराधना होती है। यहां दुर्गा मां की अलग से कोई भी मूर्ति नहीं है।
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माना जाता है कि षष्ठी के दिन तक गर्भग्रह में स्थापित मूर्ति को हर रोज चावल, केला, चीनी, मिठाई, फूल और जल का भोग लगाया जाता है और सप्तमी की सुबह केले के पत्ते को मूर्ति के बगल में रखा जाता है।
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सप्तमी को मां को शाकम्भरी का रुप दिया जाता है, जिसमें मां को सुपारी, हरतकी, अमला, बेल और साड़ी से श्रृंगार करके भगवान गणेश जी के पास विराजित किया जाता है।
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वही अष्टमी और नवमी के बीच वाले समय में संधि पूजा होती है, जिसे चामुंडा पूजा कहा जाता है। नवमी पूजा के बाद मंदिर में अनुष्ठान के रुप में तीन बकरियों की बलि दी जाएगी।
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इस मंदिर में दशमी के दिन दोपहर 1 बजे से शुरु होने वाले दूसरे भाग में किसी भी पुरुष भक्त को गर्भग्रह के अंदर जाने की अनुमति नहीं होती है।