Kamrunag Lake- देवता को भोग के बाद झील में भेंट किए जाते हैं सोना-चांदी
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    Kamrunag Lake- देवता को भोग के बाद झील में भेंट किए जाते हैं सोना-चांदी

    कमरुनाग झील हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध झीलों में से एक है। यह झील मंडी घाटी की तीसरी प्रमुख झील है। यहां पर कमरुनाग देवता का प्राचीन मंदिर भी है, जहां जून माह में विशाल मेले का आयोजन होता है।
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    Kamrunag Lake- देवता को भोग के बाद झील में भेंट किए जाते हैं सोना-चांदी

    हर साल पहली आषाढ़ को कमरुनाग मंदिर में सरानाहुली मेले का आयोजन होता है। मेले के दौरान मंडी जिला के बड़ा देव कमरुनाग के प्रति आस्था का महाकुंभ उमड़ता है।
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    नि:संतान दम्पतियों को संतान की चाह हो या फिर अपनों के लिए सुख-शांति और सुख-सुविधा की मनौती, हर श्रद्धालु के मन में कोई न कोई कामना रहती है जो इसे मीलों पैदल चढ़ाई चढ़ाकर इस स्थल तक पहुंचा देती है।
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    दूर-दूर से आए लोग मनोकामना पूरी होने पर झील में करंसी नोट, हीरे जवाहरात चढ़ाते हैं। महिलाएं अपने सोने-चांदी के जेवर झील को अर्पित कर देती हैं।
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    Kamrunag Lake- देवता को भोग के बाद झील में भेंट किए जाते हैं सोना-चांदी

    देव कमरुनाग के प्रति लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि झील में सोना-चांदी और मुद्रा अर्पित करने की यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। यह झील आभूषणों से भरी है। झील में अपने आराध्य के नाम से भेंट चढ़ाने का भी एक शुभ समय है।
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    जब देवता को कलेवा लगेगा अर्थात भोग लगेगा, तब ही झील में भेंट डाली जाती है। झील में करंसी, सोना, चांदी व गहने फैंके जाने का रोचक, रोमांचक और हैरतअंगेज नजारा यदि प्रत्यक्ष रूप से देखना हो तो पहली आषाढ़ की सुबह ही यहां पहुंच जाना चाहिए।
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    कमरु ने कहा कि उन्हें प्यास लगी है, तब भीम ने अपनी हथेली का वार धरती पर किया और वहां एक झील उभर गई, जो आज कमरुनाग झील के नाम से विख्यात है।
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    पांडवों के पास जो भी गहने थे वो इस झील में फैंककर फूलों की घाटी की ओर प्रस्थान कर गए। आज भी यह परम्परा है, जो भी यहां आता है वह सोना-चांदी, गहने या सिक्के इस झील को अर्पित करता है।