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कई सालों से यहां इस खजाने की रक्षा कर रहे हैं नाग, क्या आप जानते हैं कहां है ये अद्भुत स्थान
वो हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के कमराह नामक स्थान में मौज़द घने जंगलों से घिरी एक पहाड़ी है, जिसका नाम कमरूनाग है। कहा जाता है इस झील में नज़र आने वाला खज़ाना महाभारत काल का है जिसके किनारे के समीप कमरूनाग देवता का मंदिर भी स्थापित है।
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मान्यताओं की मानें तो इस खजाने की रक्षा मंदिर के नागराज ही करते हैं। बताया जाता है प्रत्येक वर्ष यहां यानि नागों के इस मंदिर में जुलाई के महीने में मेले का आयोजन किया जाता है। जिस दौरान विधि-वत नागों की पूजा भी की जाती है।
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लोग यहां दूर-दूर से मन्नतें मांगने आते हैं, जिनके पूरे होने के बाद वे सोने-चांदी का चढ़ावा भी चढ़ाकर जाते हैं। तो वहीं बुजुर्गों का कहना है कि कमरूनाग झील में सोना-चांदी और रुपए-पैसे चढ़ाने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
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बता दें कि समुद्रतल से 9,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस झील में अरबों का खज़ाना है जो कि पानी के बीचो-बीच बिल्कुल साफ़ नज़र आता है।
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पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत का युद्ध जीतने के बाद पांडव रत्नयक्ष (जिन्हें महाभारत युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने अपनी रथ की पताका से टांग दिया था) को एक पिटारी में लेकर हिमालय की ओर जा रहे थे तब वे नलसर पहुंचे जहां उन्हें एक आवाज़ सुनाई दी।
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जिसने उनसे उस पिटारी को एकांत स्थान पर ले जाने का निवेदन किया। जिसके बाद पांडव उस पिटारी को लेकर कमरूघाटी गए।
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वहां एक भेड़पालक को देखकर रत्नयक्ष इतना प्रभावित हुआ कि उसने वहीं रुकने का निवेदन किया। कहा जाता है कि त्रेतायुग रत्नयक्ष का जन्म उसी क्षेत्र में हुआ था।
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उसने पांडवों और उस भेड़चालक को यह बताया कि में उसका जन्म इसी स्थान पर हुआ था तथा उसे जन्म देने वाली नारी नागों की पूजा करती थी।