Yatra:- कन्याकुमारी में गिरी थी सती की रीढ़ की हड्डी, पढ़ें रोचक इतिहास
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    Yatra:- कन्याकुमारी में गिरी थी सती की रीढ़ की हड्डी, पढ़ें रोचक इतिहास

    भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक कन्याकुमारी है। माना जाता है कि यहां सती की रीढ़ की हड्डी गिरी थी। मंदिर पुरातन है और इसके इतिहास का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। देवी कन्या कुमारी की मूर्ति की स्थापना भगवान परशुराम ने की थी। मंदिर का स्थापत्य लगभग 3000 वर्ष पुराना है।
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    Yatra:- कन्याकुमारी में गिरी थी सती की रीढ़ की हड्डी, पढ़ें रोचक इतिहास

    इतिहास के अनुसार वर्तमान मंदिर आठवीं शताब्दी में पांड्या सम्राटों ने बनवाया था, चोला, चेरी, वेनाड और नायक राजवंशों के शासन के दौरान समय-समय पर इसका पुर्ननर्माण हुआ।
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    Yatra:- कन्याकुमारी में गिरी थी सती की रीढ़ की हड्डी, पढ़ें रोचक इतिहास

    यहां की मंदिर-स्थापत्य कला इन्हीं शासकों की देन है। मंदिर समुद्र तट से कुछ ऊंचाई पर है तथा इसके चारों ओर लगभग 18-20 फुट की दीवार है। राजा मार्तंड वर्मा (1729 से 1758) के राज्य काल में कन्याकुमारी का इलाका त्रावणकोर राज्य का हिस्सा बन गया था जिसकी राजधानी पद्मनाभपुरम थी।
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    स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद त्रावणकोर राज्य का भारतीय संघ में विलय होने पर वर्ष 1956 में यह तमिलनाडु का एक जिला बन गया। कन्याकुमारी जिले का नाम देवी कन्याकुमारी के नाम पर ही रखा गया है।
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    समुद्र के किनारे जहां मंदिर है उस छोटे से नगर को भी कन्याकुमारी कहते हैं। इस भाग की लुभावनी खासियत तीन समुद्रों का संगम है-पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में हिन्द महासागर और पश्चिम की ओर अरब सागर।
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    यह संगम इसे तीर्थ स्थान की संज्ञा देता है। संगम के स्थान पर पानी का प्रवाह तेज है। चट्टानों से टकराती लहरें और पानी का उफान मन में श्रद्धायुक्त भय पैदा करता है और इंसान नत-मस्तक हो जाता है।
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    धार्मिक दृष्टि से, माता का मंदिर तथा विवेकानंद स्मारक तीर्थ स्थल हैं तो तिरुवल्लुवर की प्रतिमा तमिल साहित्य के महान संत कवि की याद दिलाती है।
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    Yatra:- कन्याकुमारी में गिरी थी सती की रीढ़ की हड्डी, पढ़ें रोचक इतिहास

    कन्या कुमारी मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की है जिसमें काले पत्थर के खम्भों पर गूढ़ और पेचीदा नक्काशी है। मंदिर में कई गुम्बज हैं जिनमें गणेश, सूर्यदेव, अय्यपा स्वामी, काल भैरव, विजय सुंदरी और बाला सुंदरी आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।