कार्तिक शुरू होते ही कृष्ण भक्ति में रंगा ब्रज, सभी तरफ गूंज रही राधे-राधे की जयकार
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    कार्तिक शुरू होते ही कृष्ण भक्ति में रंगा ब्रज, सभी तरफ गूंज रही राधे-राधे की जयकार

    मथुरा: कार्तिक मास शुरू होते ही धार्मिक कार्यो की मची धूम से समूचा ब्रजमंडल कृष्णमय हो उठा है।
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    कार्तिक शुरू होते ही कृष्ण भक्ति में रंगा ब्रज, सभी तरफ गूंज रही राधे-राधे की जयकार

    कार्तिक मास में दीपदान के साथ साथ पवित्र नदी मे स्नान,श्रीमद भागवत का श्रवण,तारों की छांव में स्नान और दान इत्यादि का बड़ा महत्व है लेकिन कान्हा की नगरी में सबसे अधिक महत्व ब्रजमंडल की परिक्रमा का होता है।
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    ब्रज मण्डल परिक्रमा में जहां चौरासी कोस की परिक्रमा की जाती है वहीं जो भक्त परिक्रमा नही कर सकते है,वे गोवर्धन की सप्तकोसी या वृन्दावन की पंच कोसी या मथुरा की पंचकोसी अथवा राधारानी की गहवरवन की परिक्रमा करते हैं।
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    किसी कारण से इन परिक्रमाओं को जो श्रद्धालु नही कर पाते वे वृन्दावन के राधा दामोदर मन्दिर में रखी उस गिररज शिला की परिक्रमा करते हैं जिसे भगवान श्यामसुन्दर ने स्वयं सनातन गोस्वामी को दिया था।
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    कोविद-19 के कारण इस बार चौरासी कोस की ब्रजयात्रा भी नही शुरू हो पाई है और ना ही ब्रज की आध्यात्मिक विभूति गुरूशरणानन्द के सानिध्य में चलने वाली चौरासी कोस परिक्रमा ही शुरू हो पाई है लेकिन विरक्त संत रमेश बाबा की चौरासी कोस परिक्रमा अपवाद के रूप में वर्तमान में भी चल रही है।
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    हर साल इस परिक्रमा में दस हजार से अधिक भक्त शामिल होते थे वहीं इस बार यह संख्या एक हजार से कुछ अधिक ही है। परिक्रमा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें परिक्रमार्थियों से कोई शुल्क नही लिया जाता तथा इसका खर्च स्वयं रमेश बाबा वहन करते हैं।
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    भागवताचार्य रासबिहारी विभू महराज ने पद्म पुराण के तीसरे अध्याय का जिक्र करते हुए बताया कि कार्तिक मास में ब्रज का वास इसलिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है कि कार्तिक मास को श्रीकृष्ण का माह कहा जाता है।
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    कार्तिक शुरू होते ही कृष्ण भक्ति में रंगा ब्रज, सभी तरफ गूंज रही राधे-राधे की जयकार

    श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि सभी मासों में कार्तिक मास उन्हें बहुत अधिक प्रिय है। श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने जब उनसे पूछा कि किस कारण से वे उनकी पत्नी बन सकीं तो उन्होंने उन्हें बताया था।
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    चूंकि उन्होंने (सत्यभामा ने) पूर्व जन्म में कार्तिक मास में बहुत अधिक धार्मिक कार्य किये थे जिसके कारण ही वे उनकी पत्नी बन सकी।