Kedarnath Temple: अद्भुत है केदारनाथ मंदिर के निर्माण से जुड़ी ये पौराणिक कथा
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    Kedarnath Temple: अद्भुत है केदारनाथ मंदिर के निर्माण से जुड़ी ये पौराणिक कथा

    हर युग में भगवान शिव के बहुत सारे भक्त हुए हैं। जिन्होंने उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए घोर से घोर तप किए। उनमें से एक भक्त हुए हैं नर-नारायण। जिनकी भक्ति की कथाएं आज भी वैष्णवों के मुख से सुनी जाती हैं।
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    Kedarnath Temple: अद्भुत है केदारनाथ मंदिर के निर्माण से जुड़ी ये पौराणिक कथा

    भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र धर्म की पत्नी का नाम रुचि था। उनके गर्भ से श्री हरि ने नर और नारायण नाम के दो महान तपस्वियों के रूप में धरती पर जन्म लिया। नर और नारायण विष्णु जी के 24 वें अवतार थे।
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    अपनी माता से आज्ञा लेकर वे उत्तराखंड की पवित्र स्थली बदरीवन और केदार वन में तपस्या करने चले गये। बदरीवन में आज बद्रिकाश्रम बना है। वहीं नर और नारायण नामक दो पहाड़ भी स्थित हैं।
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    नर और नारायण की तपस्या को देखकर देवराज इंद्र ने सोचा कि ये तप के द्वारा मेरे इंद्रासन को लेना चाहते हैं। ऐसा सोचकर इंद्र ने उनकी तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव, वसंत तथा अप्सराओं को भेजा।
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    Kedarnath Temple: अद्भुत है केदारनाथ मंदिर के निर्माण से जुड़ी ये पौराणिक कथा

    नर और नारायण की अभय देने वाली वाणी को सुनकर काम अपने सहयोगियों के साथ अत्यन्त लज्जित हुआ। उसने उनकी स्तुति करते हुए कहा- प्रभो ! आप निर्विकार परम तत्व हैं। बड़े-बड़े आत्मज्ञानी पुरुष आपके चरण कमलों की सेवा के प्रभाव से काम विजयी हो जाते हैं।
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    कामदेव की स्तुति सुनकर भगवान नर-नारायण प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी योगमाया के द्वारा एक अद्भुत लीला दिखाई। सभी लोगों ने देखा कि सुंदर-सुंदर नारियां नर और नारायण की सेवा कर रही हैं।
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    उनकी आज्ञा मानकर कामदेव ने अप्सराओं में सर्वश्रेष्ठ अप्सरा उर्वशी को लेकर स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया। उसने देव सभा में जाकर भगवान नर और नारायण की अतुलित महिमा के बारे में सबसे कहा, जिसे सुनकर देवराज इंद्र चकित और भयभीत हो गए।