Keshavraya patan mandir: केशवराय पाटन जहां केशव के चरण छूने के बाद यूटर्न ले लेती है चंबल नदी !
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    Keshavraya patan mandir: केशवराय पाटन जहां केशव के चरण छूने के बाद यूटर्न ले लेती है चंबल नदी !

    प्राचीन समय से ही धर्म-आध्यात्म की संस्कृति देश में रची-बसी हुई है। आज भी यह व्यक्ति के जीवन में गहरे तक समा कर जीवनशैली का एक हिस्सा बनी हुई है।
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    विभिन्न धार्मिक परम्पराओं से व्यक्ति का जीवन अनुशासित बना रहता है। धर्म को व्यक्ति के जीवन में उतारने के लिए हमारे ऋषि-मुनियों व धर्मगुरुओं की प्रेरणा से मंदिर स्थापना की परम्परा विकसित हुई।
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    इससे पहाड़ी व वन क्षेत्र तथा नदी किनारे मंदिर स्थापित होने लगे। आज भी समाज की सहज सुविधा के लिए नगर में विभिन्न स्थानों पर मंदिर स्थापित होते जा रहे हैं।
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    मंदिरों एवं समाज में होने वाले विभिन्न धार्मिक आयोजनों जैसे कथा-कीर्तन, प्रवचन-भजन आदि के माध्यम से व्यक्ति के जीवन में धर्म-आध्यात्म बढ़ा।
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    जीवन में सुख-शांति व अनुशासन आने लगे। आज भी समाज के लोग अपने रीति-रिवाजों व परम्पराओं के अनुसार धर्म की राह पर मर्यादित रहकर अपना जीवन संचालित कर रहे हैं। मंदिर धर्म-आध्यात्म के प्रमुख केंद्र रहे हैं।
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    प्राचीन समय में राजा-महाराजाओं ने भी समाज हित में मंदिरों का निर्माण करवाया। जिस राज्य में सुख-शांति रही, वहां मंदिर निर्माण भी आकर्षक कलात्मक शिल्प शैली से निर्मित हुए हैं।