Kochi City in Kerala: कई संस्कृतियों की विरासत समेटे है कोच्चि
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    Kochi City in Kerala: कई संस्कृतियों की विरासत समेटे है कोच्चि

    जेटी से चली मोटरबोट या फेरी के दूसरे पड़ाव तक पहुंचने पर उसके कंडक्टर ने चिल्लाकर कहा- फोर्ट कोच्चि। वहां जेटी से बाहर निकलते ही मानो किसी अलग ही दुनिया में पहुंच गए हों।
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    Kochi City in Kerala: कई संस्कृतियों की विरासत समेटे है कोच्चि

    डच, पुर्तगाली और ब्रिटिश स्थापत्य कला समेटे मकान और सड़कों पर साइकिल से घूमते विदेशी युवक-युवतियां। फोर्ट कोच्चि की सड़कों पर घूमते हुए लगता है जैसे किसी यूरोपीय शहर में घूम रहे हों। देश के दक्षिणी छोर पर बसे केरल के इस तटवर्ती शहर को अरब सागर की रानी यूं ही नहीं कहा जाता।
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    यहां पुर्तगाली, यहूदी, ब्रिटिश, फ्रैंच, डच और चीनी संस्कृति का मिला-जुला रूप देखने को मिलता है। इसे पूरब का वेनिस भी कहा जाता है। वजह-वेनिस की तरह ही यहां मोटर बोट भी आवाजाही के प्रमुख साधन हैं।
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    एर्नाकुलम से फोर्ट कोच्चि तक जाने के 2 रास्ते हैं। सड़क मार्ग से भी वहां पहुंचा जा सकता है लेकिन कोच्चि बंदरगाह की खूबसूरती का लुत्फ उठाने के लिए हमने जल मार्ग से जाने का फैसला किया।
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    एक ओर बंदरगाह और दूसरी ओर समुद्र के किनारे मरीन ड्राइव पर खड़ी गगनचुंबी इमारतों का नजारा देखते और तस्वीरें खींचते हुए हमारी बोट कब फोर्ट कोच्चि पहुंच गई, पता ही नहीं चला। तंद्रा तब टूटी जब कंडक्टर ने कहा-फोर्ट कोच्चि।
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    इस शहर का इतिहास जितना पुराना है, संस्कृति उतनी ही विविध। कोच्चि 14वीं सदी से ही देश के पश्चिमी तट पर मसालों के व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है। यह शहर देश की पहली यूरोपीय कालोनियों में शुमार है।
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    वर्ष 1530 तक यह भारत में पुर्तगाली शासन का मुख्य उपनिवेश था। उसके बाद पुर्तगालियों ने इसके लिए गोवा को चुना। बाद में डच और ब्रिटिश शासकों ने इस पर कब्जा किया। प्राचीन यात्रियों और व्यापारियों ने अपने लेखन में कोच्चि का जिक्र कोसिम, कोचिम, कोचीन और कोची के तौर पर किया है।