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Lingaraja temple: मंदिर के अंदर ग़ैर-हिंदू को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है लेकिन...
लिंगराज भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। जानकारी के अनुसार यह मंदिर 10वीं और 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। लिंगराज ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित है, जहां भगवान शिव के साथ-साथ विष्णु जी की भी पूजा होती है।
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Lingaraja temple: मंदिर के अंदर ग़ैर-हिंदू को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है लेकिन...
मान्यताओं के अनुसार भुवनेश्वर शहर का नाम भी लिंगराज मंदिर के नाम पर ही रखा गया है। दरअसल शिव भगवान की पत्नी को यहां भुवनेश्वरी के नाम से जाना जाता है।
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लिंगराज शब्द यहां भगवान शिव को समर्पित है क्योंकि लिंगराज का अर्थ है लिंगम के राजा अर्थात भगवान शिव। लिंगराज मंदिर शहर का एक मुख्य धार्मिक स्थल है।
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मंदिर का निर्माण सोमवंशी राजा जजाति केसरी द्वारा करवाया गया था। यह 55 मीटर ऊंचाई पर बना हुआ है, जिसकी सुंदर नक्काशी यहां आने वाले पर्यटकों को बहुत मनोहरी लगती है।
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मंदिर का निर्माण कलिंग और उड़िया शैली में किया गया है और इसे बनाने के लिए बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है। मंदिर की एक खास बात यह है कि इसकी छत पर उल्टी घंटी और क्लश को स्थापित किया गया है, जो लोगों को बहुत हैरानी में डालता है।
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इस मंदिर में केवल हिन्दूओं को ही जाने की इजाजत है, अन्य धर्म के लोगों का जाना निषेध है। बाकी धर्म के लोगों के लिए बाहर एक चबूतरा बनाया गया है, जहां से मंदिर का पूरा दृश्य दिख जाता है।
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लिंगराज में लोग अधिकतर सर्दियों के मौसम में ही दर्शनों के लिए आते हैं क्योंकि इस दौरान यहां का मौसम सुहावना रहता है। मंदिर के आसपास भी काफ़ी खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं।
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हालांकि भुवनेश्वर का मौसम गर्मियों में काफी गर्म और उमस से भरा रहता है और इस मौसम में लोग यहां कम ही आते हैं।
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कैसे पहुंचे- भुवनेश्वर पहुंचने के बाद आप किसी पर्सनल गाड़ी या फिर टैक्सी आदि की मदद से लिंगराज मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।