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Maa Mundeshwari Temple : 600 ईसा पूर्व से अखंड आस्था का प्रतीक! बिहार का मां मुंडेश्वरी धाम क्यों है सबसे अनोखा मंदिर ?
सबसे पुराने मंदिरों में से एक मां मुंडेश्वरी धाम बिहार का मां मुंडेश्वरी धाम ऐसा अद्भुत तीर्थ स्थल है, जिसने सदियों के उतार-चढ़ाव, प्राकृतिक आपदाओं और बदलते युगों को देखा है, फिर भी अपनी दिव्यता और गरिमा बनाए रखी है।
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Maa Mundeshwari Temple : 600 ईसा पूर्व से अखंड आस्था का प्रतीक! बिहार का मां मुंडेश्वरी धाम क्यों है सबसे अनोखा मंदिर ?
इतिहासकारों और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार कैमूर जिले की पवरा पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर लगभग 600 ईसा पूर्व से अस्तित्व में है।
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Maa Mundeshwari Temple : 600 ईसा पूर्व से अखंड आस्था का प्रतीक! बिहार का मां मुंडेश्वरी धाम क्यों है सबसे अनोखा मंदिर ?
इससे पहले के कालखंड की जानकारी आज भी रहस्य है। यही कारण है कि यह मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में एक माना जाता है, जहां आज भी नियमित पूजा-अर्चना होती है। मंदिर में देवी मुंडेश्वरी की आराधना शक्ति के रूप में की जाती है।
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Maa Mundeshwari Temple : 600 ईसा पूर्व से अखंड आस्था का प्रतीक! बिहार का मां मुंडेश्वरी धाम क्यों है सबसे अनोखा मंदिर ?
भक्तों का विश्वास है कि मां अपने दरबार में आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना सुनती हैं और सच्चे भाव से की गई प्रार्थना को अवश्य पूर्ण करती हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 526 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
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यह मार्ग भले ही शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो, लेकिन भक्त इसे अपनी आस्था की परीक्षा मानते हैं। हर सीढ़ी के साथ मानो श्रद्धा और विश्वास और गहरा होता जाता है।